चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरा चंद्रयान-3, ज्योतिष शास्त्र में किस ग्रह का है इस स्थान पर कब्जा
Chandrayaan-3: आज 23 अगस्त की शाम चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतर चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, चंद्रमा के इस स्थान पर पहले से ही एक ग्रह का कब्जा है. जानते हैं यह कौन सा ग्रह है.
Chandrayaan-3 Landing: आज बुधवार 23 अगस्त 2023 शाम 06:04 पर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर चुका है. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पूरी दुनिया में भारत का परचम लहराएगी. ग्रहों की स्थिति इस अभियान को चुनौतियों पर विजय पाने की तरफ इशारा कर रही है. इस अभियान की सफलता के लिए पूरे देश प्रार्थना कर रहा है. कहते हैं कि प्रार्थना में भी बड़ी शक्ति होती है.
विज्ञान के साथ ही धर्म शास्त्रों और ज्योतिष में भी चंद्रमा का विषय गहरा और रोचक रहा है. आज चंद्रमा के जिस दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 उतरने वाला है, ज्योतिष के अनुसार वहां छाया ग्रह केतु का पहले से ही कब्जा है.
ज्योतिष के अनुसार, आज चंद्रयान-3 को चंद्रमा के जिस दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है, वह स्थान हमें दिखाई नहीं देता है. इस स्थान पर 15 दिन अंधेरा और 15 दिन उजाला होता है. हमारे ज्योतिष विज्ञान के उन्नत होने का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि, आज आधुनिक विज्ञान चंद्रमा में पानी की खोज में है. लेकिन ज्योतिष में वर्षों पहले चंद्रमा को जलतत्व का कारण ग्रह मान लिया गया था.
केतु ग्रह का निर्माण
केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह माना गया है, जिसका निर्माण तब हुआ जब सूर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी और चंद्रमा एक बिंदु पर मिले. दक्षिणी ध्रुव में मिलने के इस बिंदु को केतु कहा जाता है. केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है. किसी जातक की कुंडली में अगर केतु की स्थिति ठीक न हो तो इसका नकारात्मक प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है.
विज्ञान की नजर में केतु
विज्ञान के नजरिए से सौर मंडल में 'केतु' का स्थान वह है, जहां पृथ्वी की कक्षा का परिक्रमा पथ और चंद्रमा की कक्षा का परिक्रमा पथ पर एक-दूसरे को काटते हैं.
चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंडिग चंद्रयान-3 के लिए चुनौती
- चंद्रयान-3 की लैंडिग को आप जितना आसान समझ रहे हैं वह उतनी आसान नहीं होगी. क्योंकि अबतक चंद्रमा में भेजे गए अधिकांश मिशन असफल भी हो चुके हैं. चंद्रमान-3 द्वारा भेजी गई तस्वीरों को देखने से पता चलता है कि, चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव, जहां आज चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिग होने वाली है, वहां धूल, गहरे गड्ढे और उबड़-खाबड़ सतह है.
- चंद्रमा की उबड़-खाबड़ जमीन चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए बिल्कुल आसान नहीं होगी. चंद्रयान-3 का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना कुछ ऐसा ही है, जैसे चलती ट्रेन से छलांग लगाकर किसी प्लेटफार्म पर उतरने की कोशिश करना.
- चंद्रमा पर लैंडिंग की सबसे बड़ी समस्या है यहां की सतह पर मौजूद धूल. चंद्रयान-3 लैंडिंग सॉफ्ट न होने की स्थिति में धूल का गुबार उठेगा, जो लैंडर के कैमरा और अन्य सेंसर्स को प्रभावित कर भी सकता है. ऐसे में चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग ही एकमात्र सुरक्षित तरीका है.
- चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव करीब ढाई हजार किलोमीटर चौड़ा है और यह आठ किलोमीटर गड्ढे के किनारे स्थित है. इसे सौरमंडल का पुराना इंपैक्ट क्रेटर माना गया है. इसका मतलब यह होता है कि, किसी ग्रह या उपग्रह में हुए ऐसे गड्ढों से है, जो किसी बड़े उल्का पिंड या ग्रहों की टक्करों से निर्मित होता है.
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