Chanakya Niti: जब तक मनुष्य के पास पर्याप्त धन रहता है, तब तक भाई, बहन, दोस्त, सगे-संबंधी सभी साथ खड़े नजर आते हैं, लेकिन धन खत्म होते ही सब साथ छोड़ देते हैं. आचार्य चाणक्य के मुताबिक जब किसी को कष्ट या क्लेश देकर कोई धन अर्जित किया जाता है तो वह पूरी तरह अस्थायी होता है, ऐसा धन इंसान के रिश्ते-नाते और सगे संबंधी सबसे दूर कर देता है. धन कमाने का तरीका और संचय का तरीका सही हो तो इंसान कभी आर्थिक तंगी नहीं झेलता. चाणक्य की छह नीतियों को समझने से कभी गरीबी नहीं आ सकती.


पाप की कमाई से दूर रहें
चाणक्य नीति के 15वें अध्याय के मुताबिक यदि धन कमाने के लिए गलत रास्ता अपनाया है तो वह स्थायी नहीं होगा, ऐसा धन दस साल से ज्यादा नहीं टिक सकता. वह सूद समेत नष्ट हो जाता है, इसलिए हर मनुष्य को धन कमाने के लिए सही रास्ते पर चलना चाहिए, क्योंकि गलत तरीके से कमाया धन 11वें साल में खुद नष्ट हो जाएगा.


धन संचय जरूरी
चाणक्य ने कहा है कि धन संचयन को जितनी जल्दी समझता है, वह उतना ही धनी होता है. आड़े वक्त के लिए धन जरूर बचाकर रखना चाहिए, ऐसे वक्त में सगे भी साथ छोड़ देते हैं. धन से ही सारे कार्य संभव होते हैं, इसलिए धन की महत्ता को कभी आंका नहीं जा सकता. अच्छे दिन में धन खर्च करने से ज्यादा धन संचय करना सीखें.


सच्ची भावना से करें कमाई
धन अर्जन हमेशा सद्गुण के साथ होता है. समाज में सद्गुणों वाले इंसान का सम्मान होता है और जिसका सम्मान होता है, उसके पास धन है या नहीं, यह मायने नहीं रखता. उसका सदगुण ही उसे धन का भागी बना देता है. जिस तरह पूर्णिमा की जगह द्वितीया का छोटा चांद पूजा जाता है, उसी प्रकार सद्गुणों से युक्त मनुष्य निर्धन और नीच कुल का होते हुए भी पूजनीय होता है.


कसौटी पर परखने की कला सीखें
समय-समय पर अपनों को कसौटी पर परखते रहें कि आपके आड़े वक्त में कौन साथ देगा और कौन दूर हो जाएगा. धन संपत्ति की परख के लिए हर किसी को हर किसी की परख करनी चाहिए. पति-पत्नी, दोस्त, नौकर सबको परखना चाहिए, ताकि आपको यह ज्ञात रहे कि आपके आड़े समय में कोई साथ होगा भी या नहीं. ऐसा करने वाला व्यक्ति हमेशा सजग होता है और धन के महत्व को समझता है.


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