आचार्य चाणक्य के विचार से सफलता उसी व्यक्ति को मिलती है जो असफलताओं से नहीं घबराता है. वहीं सफलता न मिलने पर जो भाग्य को दोष देते हैं उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है. ऐसे लोग सफलता के स्वाद को चखने के लिए तरसते रहते हैं.


आचार्य कहते हैं कि जब बार-बार कठिन प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है तो व्यक्ति को भाग्य को दोष देने की जगह उस कार्य को करने की रणनीति पर ध्यान केंन्द्रित करना चाहिए. आखिर किन कारणों से अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है. कमजोर रणनीति के कारण ही व्यक्ति सफलता से वंचित रहता है.


आयुः कर्म च विद्या च वित्तं निधनमेव च ।
पञ्चौतानि विलिख्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ॥


चाणक्य के अनुसार आयु, कर्म विद्या धन और मृत्यु तो शिशु के गर्भस्थ होने के साथ तय हो जाते हैं जो नहीं बदलते हैं. इसलिए कर्म करने में आपको कोई कोर कसर नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि कर्म से भाग्य बदला जा सकता है. जीवन में आप भाग्य के भरोसे नहीं बैठ सकते हैं फिर आपके भाग्य में क्या है इसका पता आपको नहीं होता है इसलिए बिना चिंता आपको निरंतर कर्म करते रहना चाहिए.


सफलता के लिए आत्मविश्वास मजबूत होना बहुत ही जरूरी होता है. चाणक्य के अनुसार युद्ध सिर्फ शस्त्रों से ही नहीं बल्कि आत्मविश्वास से भी जीता जाता है. जिस देश के सैनिकों का आत्मविश्वास मजबूत होता है वे सीमित संसाधनों से भी शत्रु का पराजित करने की शक्ति रखते हैं. इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है. सफलता के लिए व्यक्ति का आत्मविश्वासी होना बहुत ही जरूरी होता है. भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जिनका आत्मविश्वास मजबूत होता है.


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