Chaturmas 2024: आज ही निपटा लें ये काम, फिर अगले 118 दिनों तक नहीं मिलेगा मौका
Chaturmas 2024: शास्त्रों के अनुसार, देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है और भगवान विष्णु चार माह के लिए निद्रा अवस्था में चले जाते हैं. इस दौरान शुभ-मांगलिक कार्यों पर भी रोक लग जाती है.
![Chaturmas 2024: आज ही निपटा लें ये काम, फिर अगले 118 दिनों तक नहीं मिलेगा मौका Chaturmas 2024 lord vishnu sleeping period Get these auspicious work done before devshayani ekadashi Chaturmas 2024: आज ही निपटा लें ये काम, फिर अगले 118 दिनों तक नहीं मिलेगा मौका](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/07/15/ddb6e3350d9a7b9173d2c21b6c7b17b51721040863039466_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chaturmas 2024: सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है, जोकि हर साल आषाढ़ महीने (Ashadha Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू होती है और कार्तिक मास (Kartik Month) की शुक्ल पक्ष की एकादशी को समाप्त होती है.
आषाढ़ शुक्ल की देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास (Chaturmas 2024) कहा जाता है. हिंदू वर्ष के सावन (Sawan 2024), भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक माह को मिलाकर चातुर्मास या चौमासा बनता है. चातुर्मास के ये 4 माह शुभ-मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माने जाते हैं.
कब शुरू होगा चातुर्मास (Chaturmas 2024 Date)
इस वर्ष देवशयनी एकादशी बुधवार, 17 जुलाई 2024 को पड़ रही है और इसी दिन से चातुर्मास भी शुरू हो जाएगा. इसके बाद मंगलवार, 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी के बाद चातुर्मास समाप्त होगा. ऐसे में इन 118 दिनों की अवधि में किसी भी तरह के शुभ-मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे, क्योंकि मांगलिक कार्यों के लिए इस दौरान कोई शुभ मुहूर्त नहीं होते हैं. इसलिए इन कामों को 17 जुलाई से पहले ही निपटा लें.
चातुर्मास से पहले निपटा लें ये काम
हिंदू धर्म में चातुर्मास की अवधि को शुभ-मांगलिक कार्यों या फिर किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए शुभ नहीं माना जाता है. इस अवधि में शादी-विवाह, मुंडन, छेदन, सगाई, भूमि पूजन, गृह प्रवेश या शुभ कार्यों की शुरुआत करना वर्जित होता है. इसलिए यदि कोई जरूरी कार्य करना हो तो चातुर्मास के पहले ही कर लिया जाता है. हालांकि चातुर्मास में पूजा-पाठ आदि करने पर कोई मनाही नहीं होती है. इस दौरान सूर्य देव, भगवान शिव, श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और तुलसी पूजन करना शुभ होता है.
श्रीहरि के शयनकाल में जाने के बाद कौन करता है सृष्टि का संचालन: हिंदू मान्यता के अनुसार चातुर्मास की अवधि में श्रहरि क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं. इसके बाद भगवान शिव (Lord Shiva) सृष्टि का संचालन करते हैं.
ये भी पढ़ें: Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा का पर्व 20 या 21 जुलाई को, जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)