Chhath Puja: छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है. इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है. यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले छठ की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है.
छठ पूजा का व्रत संतान की दीर्घायु,सौभाग्य और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है. महिलाएं छठ पूजा में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. आइए जानते हैं इस साल कब से शुरू हो रही है छठ पूजा और सूर्योदय का समय क्या है.
छठ पूजा का पहला दिन
नहाय-खाए- 17 नवंबर
दीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय- खाए की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है. इस बार 17 नवंबर से छठ पूजा की शुरुआत होगी. इस दिन घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है. इसके बाद छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. व्रती के भोजन करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं.
छठ पूजा का दूसरा दिन
खरना- 18 नवंबर
दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को भक्त दिनभर का उपवास रखते हैं. इस दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं. अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है. शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है.
छठ पूजा का तीसरा दिन
डूबते सूर्य को अर्घ्य- 19 नवंबर
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि छठ पूजा की मुख्य तिथि होती है. व्रती इस दिन शाम के समय पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करते हैं. बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है. इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाती हैं. संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है.
सूर्यास्त का समय: शाम 5 बजकर 26 मिनट.
छठ पूजा का चौथा दिन
उगते सूर्य को अर्घ्य- 20 नवंबर
चौथे दिन यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले ही भक्त सूर्य देव की दर्शन के लिए पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं.
सूर्योदय का समय: सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर
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