Christmas 2022 Celebration Live: दुनिया भर में क्रिसमस की धूम, आज मनाया जाएगा 'ज़ीज़स' का जन्म दिन

Christmas 2022 Wises Images Celebration Photos Live: 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. ईसाई धर्म का प्रमुख पर्व है. इस दिन को ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं.

ABP Live Last Updated: 25 Dec 2022 09:19 PM
सेंटा क्लॉज रात के अँधेरे में बांटते हैं तोहफा

संत निकोलस हमेशा गरीबों की सेवा में लगे रहते थे, बड़े होकर वहपादरी बन गए, फिर बिशप. इसके बाद उन्हें संत की उपाधि मिल गई. कहते हैं कि क्रिसमस पर बच्चों में खुशियां बांटने के लिए वह रात के अंधेरे में अपनी खास पोशाक पहनकर  तोहफे देने जाते थे, ताकि कोई उन्हें पहचान न सके.

कौन थे सेंटा क्लॉज ?

मान्यताओं के अनुसार संत निकोलस (saint nicholas) को ही सेंटा क्लॉज कहा जाता है. संत निकोलस तीसरी सदी में जीसस क्राइस्ट के गुजरने के करीब 280 साल बाद जन्मे थे. इनका जन्म तुर्किस्तान के मायरा में हुआ था. कहते हैं कि बचपन में ही इनके माता-पिता दुनिया को अलविदा कह गए थे.

दो साल बाद उल्लास के साथ मनाया जा रहा है क्रिसमस

सत्य, प्रेम, करुणा व दया का संदेश देने वाले प्रभु यीशु के अवतरण को लेकर आज पूरे देश में कोविड के दो साल बाद क्रिसमस को बड़े उल्लास के साथ सामूहिक रूप से मनाया जा  रहा है. गिरजाघरों और चर्च में सामूहिक आराधना हुई. बिशप, फादर व पादरी प्रार्थना सभा में बाइबल का संदेश दिया. बाइबिल पाठ के साथ विश्व में अमन चैन के लिए प्रार्थना की गई.

इन शानदार मैसेज के साथ अपनों को भेजें बधाइयां

चांद ने अपनी चांदनी बिखेरी है.


और तारों ने आसमां को सजाया है.


लेकर तोहफा अमन और प्यार का


देखो स्वर्ग से कोई फरिश्ता आया है.

दुनिया के इन देशों में सेलिब्रेट नहीं किया जाता क्रिसमस

पाकिस्तान में भले ही 25 दिसंबर के दिन छुट्‌टी होती है लेकिन इस दिन को लोग मोहम्मद अली जिन्ना की जयंती के रूप में मनाते हैं. यहां क्रिसमस का कोई खास सेलिब्रेशन नहीं होता. इसके अलावा भूटान, चीन, ईरान, उज़्बेकिस्तान, तुर्की, बहरीन, लीबिया, कंबोडिया और इज़राइल जैसे देशों में भी क्रिसमस सेलिब्रेट नहीं किया जाता.

ईसा मसीह के जन्म की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार प्रभु यीशु का जन्म करीब 4-6 ई.पू में हुआ था. प्रभू यीशू की माता का नाम मरियम और पिता का नाम यूसुफ था. यूसुभ बढ़ई का काम करते थे. ऐसा कहा जाता है कि मरीयम को एक सपना आया था जिसमें उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी. 

क्या जानते हैं कि ईसा मसीह का जन्म कब हुआ था?

जीसस क्राइस्ट जिन्हें ईसा मसीह के नाम से भी जाना जाता है, के जन्म की खुशी में क्रिसमस डे मनाया जाता है. क्राइस्ट से ही क्रिसमस बना है. हर साल 25 दिसंबर के दिन जीसस क्राइस्ट यानी ईसा मसीह का जन्मदिन मनाया जाता है, लेकिन ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबल में जीसस क्राइस्ट (Jesus Christ) के जन्म की तारीख के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है.

इस लिए मनाया जाता है क्रिसमस डे 

ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभू ईसा मसीह के जन्मदिन को क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है. इनका जन्म 25 दिसंबर को हुआ था. खुशी और उत्साह के इस पर्व में लोग घर और चर्च में क्रिसमस ट्री और सुंदर झांकियां सजाते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं. केक और अन्य उपहार दिए जाते हैं. ईसा मसीह को परमात्मा का पुत्र कहा जाता है.

क्रिसमस पर अपनी राशि के हिसाब से बांंटें तोहफे

मेष


मेष राशि के लोग क्रिसमस पर लाल रंग का स्कार्फ रिश्तेदातों को उपहार में दे सकते हैं. लाल रंग का कंबल जरुरतमंदों को बांटने से समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है. मान-सम्मान बढ़ता है.


वृषभ


क्रिसमस पर वृषभ राशि के लोगों को सफेद रंग की मिठाई या गर्म कपड़े दान करें. ये दांपत्य जीवन में खुशहाली लाएगा और परिवार में सुख-शांति आएगी.


मिथुन


मिथुन राशि के क्रिसमस पर शिक्षा से संबंधित वस्तुएं गरीब बच्चों में बांटे. कहते हैं इससे आपके हर कार्य बिना रुकावट के सफल होंगे.


कर्क


क्रिसमस पर कर्क राशि के लोग अपनी मां को तोहफे में कोई पवित्र ग्रंथ दे सकते हैं या फिर किसी असहाय व्यक्ति की स्वास्थ के क्षेत्र में मदद करें. इससे आरोग्य मिलता है.


सिंह


क्रिसमस के अवसर पर आप सात घोड़ों वाली तस्वीर भी गिफ्ट कर सकते हैं। इसे घर में लगाने से उन्नति के नए अवसर मिलते हैं.


कन्या


क्रिसमस पर कपड़े, पढ़ाई की समाग्री जरुरतमंद बच्चों में बांटना कन्या राशि वालों को लाभ प्रदान करेगा. कहते हैं इससे धन लाभ मिलेगा. पैसों की किल्लत नहीं होगी.


तुला


तुला राशि वाले क्रिसमस पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को लाफिंग बुद्धा गिफ्ट कर सकते हैं. ये आपके और सामने वाले दोनों की उन्नति का कारक बनेगा.


वृश्चिक


वृश्चिक राशि वाले इस दिन लाल रंग के मोजे या फिर लाल कैप भी गिफ्ट कर सकते हैं. कहते हैं इससे कुंडली में मंगल की स्थिति मजबूत होगी.


धनु


धनु राशि वालों को क्रिसमस पर पीले रंग के फूलों का गुलदस्ता तोहफें में भेंट करना चाहिए. मान्यता है इससे विवाह संबंधी परेशानियों से राहत मिलेगी.


मकर


अगर आपका बजट ज्यादा है तो मकर राशि के लोग इस दिन सोने की वस्तु भेंट करें. इससे धन में बढोत्तरी होगी और आत्मविश्वास, आत्मबल बढ़ेगा.


कुंभ


फेंग शुई में पिरामिड को बेहद सकारात्मक ऊर्जा देने वाली चीज माना गया है. आप क्रिस्टल का पिरामिड गिफ्ट कर सकते हैं. यह सौभाग्य लाता है


मीन


मीन राशि वालों को क्रिसमस पर पीले रंग की मोमबत्ती गिफ्ट करनी चाहिए. कहते हैं इससे तरक्की के मार्ग खुलते हैं.

यीशु मसीह की शिक्षाएं

  • यीशु मसीह का कहना था कि ईश्वर की सभी संतान समान है इसलिए सभी का आदर करो, सभी से प्रेम करो, अपने परिवार से, पड़ोसी से, यहां तक कि अपने शत्रुओं से भी प्रेम करो.

  • यीशु के अनुसार विनम्र और दयावान लोगों का मन शुद्ध होता है. वह अपने शुद्ध मन से, पवित्रता से दूसरों की सेवा करते हैं. उनके मन में दया का भाव ही उन्हें दूसरों से अलग करता है.

  • जो लोग शुद्ध मन से लोगों का भला करते हैं, परमेश्वर भी उन्हीं के मन में वास करते हैं. हमें दूसरों के भले के लिए कार्य करते रहना चाहिए. सद्मार्ग पर चलना चाहिए. यीशु मसीह के अनुसार दूसरों का भला चाहने वाला ही सच्चा  मनुष्य है.

  • यीशु मसीह के अनुसार जैसे व्यवहार की अपेक्षा आप दूसरों से अपने लिए करते हैं वैसा ही व्यवहार आपको भी दूसरों के साथ करना चाहिए.

  • यीशु मसीह के अनुसार हर व्यक्ति को ईमानदारी से जीवन यापन करना चाहिए. सभी के प्रति ईमानदार रहना चाहिए. स्वयं के प्रति,अपने परिवार के प्रति और समाज के प्रति भी ईमानदार रहें.

  • यीशु मसीह के अनुसार हमें सभी पर विश्वास रखना चाहिए.जैसे हम ईश्वर पर भरोसा रखते हैं, उसी प्रकार हमें अपने आप पर और दूसरे लोगों पर भी भरोसा रखना चाहिए और विश्वास  करना चाहिए.

ईसा मसीह के जन्म की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार प्रभु यीशु का जन्म करीब 4-6 ई.पू में हुआ था. प्रभू यीशू की माता का नाम मरियम और पिता का नाम यूसुफ था. यूसुभ बढ़ई का काम करते थे. ऐसा कहा जाता है कि मरीयम को एक सपना आया था जिसमें उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी. मरियम गर्भवती हुईं. गर्भवास्था के दौरान मरियम को बेथलहम की यात्रा करनी पड़ी. रात होने के कारण उन्होंने रूकने का फैसला किया, लेकिन कहीं कोई ठिकाना नहीं नहीं मिला एक गडरिए के यहां ही उसी के अगले दिन माता मरियम ने प्रभु यीशु को जन्म दिया.

क्रिसमस के दिन क्यों जलाते हैं मोमबत्ती?

क्रिसमस पर मोमबत्तियां जलाकर लोग प्रभू यीशु से जीवन में प्रकाश की कामना करते हैं. सफेद रंग की मोमबत्ती लक्ष्य प्राप्ति का प्रतिनिधत्व करती है. ये शांति और खुशी को भी दर्शाती है. पीले रंग की मोमबत्ती पृथ्वी का प्रतीक मानी गई है. क्रिसमस के दिन इसे जलाकर सौहार्द और रिश्तों में मिठास बनी रहने की कामना की जाती है. लाल रंग आग का प्रतीक है, जीवन में प्रसिद्धि और वैभव पाने के लिए इस रंग की मोमबत्ती का इस्तेमाल किया जाता है.

क्रिसमस पर ये मैसेज भेजकर अपनों संग बांटें खुशियां

चांद ने अपनी चांदनी बिखेरी है
और तारों ने आसमां को सजाया है
लेकर तोहफा अमन और प्यार का
देखो स्वर्ग से कोई फरिश्ता आया है


इस क्रिसमस सच हो जाएं आपके सपने
और दिल में छुपी हुई सारी अभिलाषा
आपके लिए यही है मेरी शुभकामना


जिंगल बेल्स जिंगल बेल्स गाते सैंटा आए
और आपके जीवन में खुशियों को भर जाएं


क्रिसमस का ये प्यारा त्योहार
जीवन में लाएं खुशियां अपार


देवदूत बनके कोई आएगा,
सारी आशाएं तुम्हारी, पूरी करके जायेगे,
क्रिसमस के इस शुभ दिन पर,
तौफे खुशियां कोई दे जायेगा

वास्तु में क्रिसमस ट्री का महत्व

वास्तु शास्त्र के अनुसार क्रिसमस ट्री बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस त्योहार पर क्रिसमस ट्री घर में लगाने से परिवार में प्रेम बढ़ता है. नेगेटिव एनर्जी दूर होती है. क्रिसमस ट्री पर लाल रंग के रिबन में तीन सिक्के बांधकर लटकाने से घर में धन की कमी नहीं होती है. समृद्धि का आगमन होता है. 

क्रिसमस के दिन करें ये काम

क्रिसमस खुशियां बांटने का त्योहार है. माना जाता है कि क्रिसमस के दिन गुप्त दान करने से जीवन के सारे दुख दूर होते हैं जिंदगी खुशियों से भर जाती है. इससे व्यक्ति को आर्थिक रूप से लाभ मिलता है.

क्रिसमस ट्री सजाने का महत्व

क्रिसमस के दिन क्रिसमस ट्री सजाने का विशेष महत्व है. इसे रिबन, गिफ्ट, घंटी और लाइट्स लगाकर सजाया जाता है. यह क्रिसमस की परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस दिन घंटी बजाने की भी परंपरा है. मान्यता है कि क्रिसमस के दिन घर को घंटियों से सजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.

क्या आपको मालूम है? यहां नहीं मनाया जाता है क्रिसमस का पर्व

क्रिसमस लगभग हर देश में मनाया जाता है, लेकिन कुछ ऐसे देश भी हैं जहां क्रिसमस सेलिब्रेशन पूरी तरह बैन है. वजह जानकर हैरान रह जाएंगे-


भूटान - भूटान में बौध धर्म को मानने वाली आबादी ज्यादा है. ईसाई धर्म के लोग एक प्रतिशत से भी कम है. इतना ही नहीं भूटान कैलेंडर में क्रिसमस को स्थान भी नहीं दिया गया है.


पाकिस्तान - पाकिस्तान में भले ही 25 दिसंबर के दिन छुट्‌टी होती है लेकिन इस दिन को लोग मोहम्मद अली जिन्ना की जयंती के रूप में मनात हैं. यहां क्रिसमस का कोई खास सेलिब्रेशन नहीं होता.


सोमालिया - 2015 के आसपास अफ्रीकी देश सोमालिया में धार्मिक कानून लगने के बाद यहां क्रिसमस का त्योहार मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. धार्मिक भावना के कारण यहां क्रिसमस डे नहीं मनाते.


अफगानिस्तान - किसमस ईसाई धर्म का खास फेस्टिवल है और अफगानिस्तान में ईसाई और मुस्लिम धर्म के बीच सालों से चले आ रहे विवाद के चलते यहां क्रिसमस नहीं मनाया जाता. अफगानिस्तान इस्लामी देश है और यहां रहने वाले मुस्लिम धर्म के लोग ईसाईयों के त्योहार मनाने के विरुद्ध हैं.




कौन थे सेंटा क्लॉज ?

मान्यताओं के अनुसार संत निकोलस (saint nicholas) को ही सेंटा क्लॉज कहा जाता है. संत निकोलस तीसरी सदी में जीसस क्राइस्ट के गुजरने के करीब 280 साल बाद जन्मे थे. इनका जन्म तुर्किस्तान के मायरा में हुआ था. कहते हैं कि बचपन में ही इनके माता-पिता दुनिया को अलविदा कह गए थे.

यीशू की मां कौन थीं, क्या था इनका नाम

पौराणिक कथा के अनुसार प्रभु यीशु का जन्म करीब 4-6 ई.पू में हुआ था. प्रभू यीशू की माता का नाम मरियम और पिता का नाम यूसुफ था. यूसुभ बढ़ई का काम करते थे. ऐसा कहा जाता है कि मरीयम को एक सपना आया था जिसमें उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी. मरियम गर्भवती हुईं. गर्भवास्था के दौरान मरियम को बेथलहम की यात्रा करनी पड़ी. रात होने के कारण उन्होंने रूकने का फैसला किया, लेकिन कहीं कोई ठिकाना नहीं नहीं मिला एक गडरिए के यहां ही उसी के अगले दिन माता मरियम ने प्रभु यीशु को जन्म दिया.

भारत के वह प्रसिद्ध चर्च जो पूरी दुनिया में मशहूर है

क्रिसमस ईसाई धर्म का प्रमुख त्योहार है लेकिन भारत में अधिकतर लोग इस फेस्टिवल को धूमधाम से मनाते हैं. क्रिसमस के मौके पर जानते हैं, भारत के वह प्रसिद्ध चर्च जो पूरी दुनिया में मशहूर है-


मैसूर - मैसूरु का सेंट फिलोमेना चर्च 1936 में बनाया गया था. कहते हैं कि यह एशिया का सबसे लंबा चर्च माना जाता है. इसका निर्माण निओ-गोथिक शैली में किया गया था.


शिमला - हिल्स क्वीन शिमला के रिज मैदान पर स्थित ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च को राजधानी का ताज कहा जाता है. अग्रेजों के शासन में बना यह उतरी भारत में दूसरा सबसे पुराना चर्च है.


दिल्ली - भारत के सबसे पुराना चर्च में शुमारर 'कैथेड्रल ऑफ सेक्रेड हार्ट चर्च देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है. इसकी बनावट बहुत अद्भुत है.


कोलकाता - कोलकाता का सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च एशिया का पहला एपिस्कोपल चर्च माना गया है. ये एशिया का पहला ऐसा चर्च था जिसका नाम किसी संत के नाम पर रखा गया. 1847 में बना गोथिक वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है ये चर्च.


कोच्चि - कोच्चि के सेंट फ्रांसिस चर्च को भारत का पहला यूरोपियन चर्च माना गया है. ये सन् 1503 में बना है. मान्यता है कि महान पुर्तगाली नाविक वास्को-डि-गामा को मरने के बाद इसी चर्च में दफनाया गया था.


गोवा - गोवा का ये चर्च पुरानी दुनिया में प्रसिद्ध है. ये गोवा के मुख्य पर्यटन स्थल में से एक है. इसे सेंट फ्रांसिस जेवियर का घर माना जाता है, क्योंकि इस चर्च में सेंट फ्रांसिस जेवियर की बॉडी अभी तक मौजूद है.

ईसा मसीह का जन्म कब और कहां हुआ

ईसा मसीह का जन्म मैरी और जोसेफ के घर बैथलहम में 4 ईसा पूर्व हुआ था. कहा जाता है कि उनका जन्म एक अस्तबल में हुआ था. इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि उनके पिता और यीशू बढ़ई थे और ईसा मसीह ने 30 साल की उमर में जनजागरण का कार्य शुरू कर दिया था.

बैकग्राउंड

Merry Christmas 2022 Celebration Live: 25 दिसंबर को ईसाई धर्म का प्रमुख त्योहार क्रिसमस मनाया जाता है. ये दिन प्रभू यीशू के जन्मदिवस के रूप में बड़े उत्साह से सेलिब्रेट किया जाता है. क्रिसमस वैसे ईसाईयों का फेस्टिवल है, लेकिन इसे अन्य समुदाय के लोग भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं.


क्रिसमस के दिन घर और चर्च में क्रिसमस ट्री सजाए जाते हैं. क्रिसमस पर गिरिजाघरों की रौनक खास होती है. खुशहाली की प्रार्थना की जाती है. एक दूसरे को तोहफे और मिठाइयां खिलाते हैं. केक, मोमबत्तियां, मोजे, रंग बिरंगी लाइट्स, इस त्योहार का अहम हिस्सा है. वहीं सेंटा क्लॉज के बिना इस पर्व को अधूरा माना जाता है.


सेंटा क्लॉज के रूप में बच्चों और बड़ों को भी गिफ्ट देकर खुशियां बांटी जाती है. इस साल क्रिसमस के मौके पर आप भी ये शानदार मैसेज रिश्तेदारों और दोस्तों को भेजकर उनके साथ ये फेस्टिवल सेलिब्रेट करें.


क्रिसमस को लेकर मान्यता है कि सबसे पहले क्रिसमस का त्योहार रोम देश में मनाया गया था. यहां इस दिन को सूर्य देवता के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. ईसाई धर्म का प्रभाव 330 ई तक रोम में तेजी से बढ़ने लगा था और ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा था. 


कुछ सालों बाद रोम में ईसाई धर्म के अनुयायियों ने ईसाई धर्म के पैगंबर यीशू मसीह को सूर्य देवता का रूप मान लिया और तभी से 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्योहार की शुरआत हो गई और इसे 25 दिसंबर के दिन मनाया जाने लगा.


क्रिसमस की छुट्टी का ऐलान,कब हुआ?
साल 1870 में अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर क्रिसमस के दिन फेडरेल हॉलिडे का ऐलान किया. इसके बाद से दुनिया भर में 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस की छुट्टी दी जाने लगी. यह साल का आखिरी सबसे बड़ा त्योहार होता है.क्रिसमस की शुरुआत कैसे हुई इसको लेकर क्या मान्यताएं हैं. इन सब के बारे में यहां पढ़ें-

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