Daridra Yoga In Kundali: जन्म लेते ही व्यक्ति के कुंडली में बहुत सारे योग बनते हैं. इनमें से कुछ योग अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे. इनका प्रभाव उस व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है. इसके फलस्वरूप ही इन्हें फल मिलते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति की कुंडली ही उसका भाग्य निर्धारित करती है. कुंडली में शुभ योग हों तो व्यक्ति को जीवन में खूब तरक्की मिलती है. कुंडली के ये शुभ योग सफलता, धन और यश हासिल कराते हैं.
वहीं किसी व्यक्ति की कुंडली में दिक्कत हो तो उस व्यक्ति को कभी भी भाग्य का साथ नहीं मिलता है. ये अशुभ योग व्यक्ति को कई मुश्कियों का सामना कराते हैं. ऐसे योग हों तो व्यक्ति का जीवन संघर्षों में ही बीतता है. ज्योतिष शास्त्र में इसे दरिद्र योग कहा जाता है. किसी व्यक्ति के कुंडली में दरिद्र योग तो उसे जीवन भर बड़ी सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इसकी वजह से कई बार लोगों के बने बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं और पूरा जीवन अभाव में बीतता है.
कुंडली में कब और कैसे बनता है दरिद्र योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में दरिद्र योग तब बनता है जब शुभ ग्रह किसी अशुभ ग्रह के संपर्क में आ जाता है. देव गुरु बृहस्पति 6 से 12वें भाव में बैठे हो, तो भी कुंडली में दरिद्र योग बन जाता है. इसके अलावा कुंडली में जब शुभ योग केंद्र में हो और धन भाव में पापी ग्रह बैठा हो तब दरिद्र योग का निर्माण होता है. कुंडली में दरिद्र योग हो तो कुछ उपाय करके इनके प्रभाव से बचा जा सकता है.
दरिद्र योग से बचने के उपाय
जिन लोगों की कुंडली में दरिद्र योग हो, उन लोगों को अपने माता-पिता और जीवनसाथी का हमेशा सम्मान करना चाहिए. दरिद्र योग होने पर व्यक्ति को गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए. मध्यमा उंगली में तीन धातु का छल्ला पहनने या फिर हाथ में तीन धातु का कड़ा धारण करने से भी लाभ होगा. दरिद्र योग के नाश के लिए गीता के 11 अध्याय का पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है.
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