Devuthavani Ekadashi: विवाह को सनातन धर्म के सोलह संस्कारों में से एक माना गया है. विवाह का अर्थ वि+वाह यानी विशेष (उत्तरदायित्व) वहन करना. इस बंधन में बंधने पर वर और वधू दोनों का जीवन बदल जाता है. अगर आप भी देवोत्थान एकादशी या इसके बाद किसी तिथि में विवाह करने के बारे में सोच रहे हैं और भावी जिंदगी में कोई कष्टकारी स्थिति न आए तो विवाह शुभ मुहूर्त देखकर ही करें.
नक्षत्रों पर नजर
शास्त्रों के अनुसार कुल 27 नक्षत्र है. मगर विवाह मुहूर्त इन दस नक्षत्रों आर्दा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुणी, उतराफाल्गुणी, हस्त, चित्रा, स्वाति में नहीं निकालना चाहिए. साथ ही सूर्य सिंह राशि में गुरु के नवांश में गोचर करे तो भी यह समय शादी के लिए उपयुक्त नहीं होगा.
शुक्र की सहज स्थिति
शुक्र ग्रह पूर्व में उदित होकर तीन दिन बाल्यकाल में रहते हैं. इस दौरान वह पूर्णफल देने लायक नहीं होते. इस के अलावा पश्चिम दिशा में होने पर बाल्यकाल की अवस्था दस दिन होती है. मगर शुक्र पूर्व में अस्त होते हैं तो पहले 15 दिन तक फल देने में असमर्थ रहते हैं. पश्चिम में अस्त होने से पांच दिन पहले तक उनकी वृद्धावस्था होती है. ऐसी स्थिति में विवाह मुहूर्त सही नहीं होता. वैवाहिक जीवन बेहतर बनाने के लिए शुक्र का शुभ स्थिति में होना और पूर्ण फलदायक होना जरूरी है.
गुरु का उदय
गुरू उदय हों या अस्त दोनों ही हालात में 15-15 दिनों के लिए बाल्यकाल और वृ्द्धावस्था होती है. इस दौरान विवाह कार्य नहीं करना चाहिए. अमावस्या से तीन दिन पहले और तीन दिन बाद तक चंद्र का बाल्य काल होता है. इस समय भी विवाह ठीक नहीं होते. मान्यता है कि शुक्र, गुरु और चंद्र इनमें से कोई भी बाल्यकाल में हो तो पूरा लाभ नहीं मिलता है. मगर वैवाहिक जीवन के लिए इन तीनों ग्रहों का शुभ होना जरूरी है.
ज्येष्ठ माह से दूरी
अगर विवाह योग्य व्यक्ति घर की सबसे बड़ी संतान है और भावी जीवनसाथी भी अपने घर में सबसे बड़ा है तो कभी मुहूर्त ज्येष्ठ माह में न निकलवाएं. ऐसा होने पर त्रिज्येष्ठा योग बनता है, जो शुभ नहीं होता. हालांकि अगर वर या वधू में कोई एक ज्येष्ठ हो तो ज्येष्ठ महीने में शादी हो सकती है.
एक लड़के से दो सगी बहनें
कई मान्यताओं के अनुसार एक लड़के से दो सगी बहनों का विवाह नहीं होना चाहिए. न दो सगे भाइयों का विवाह दो सगी बहनों से करना चाहिए. दो सगे भाइयों या बहनों का विवाह भी एक ही मुहूर्त में नहीं कराए तो बेहतर होगा. जुड़वां भाइयों का विवाह भी जुड़वा बहनों से नहीं करना चाहिए. हालांकि सौतेले भाइयों का विवाह एक ही लग्न, समय पर हो सकता है.
पुत्री विवाह का नियम
बेटी की शादी के छह सूर्य मास अवधि में सगे भाई की शादी कराई जा सकती है, मगर बेटे के बाद बेटी की शादी छह मास के अंदर नहीं करना चाहिए. ऐसा करना अशुभ होताहै. दो सगे भाइयों या बहनों का विवाह भी छह माह से पहले करना शुभ नहीं माना जाता है.
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