Dhanteras 2021: धनतेरस पर जानें कार, बाइक, आभूषण और बर्तन खरीदने का सही और सटीक टाइम
Dhanteras 2021 Shopping Timing: 2 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन कुछ चीजों की खरीदारी को अत्यंत शुभ माना गया है. धनतेरस पर कार, बाइक, आभूषण आदि खरीदने जा जानते हैं शुभ मुहूर्त.
Dhanteras 2021, Dhanteras 2021 Shopping Timing: हिंदू धर्म में धनतेरस के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन को शॉपिंग यानि खरीदारी के लिए उत्तम माना गया है. इस दिन का लोग वर्ष भर इंतजार करते हैं. पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व कल यानि 2 नवंबर 2021, मंगलवार को मनाया जाएगा. इस दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त क्या है, आइए जानते हैं.
धनतेरस पर इन देवताओं की जाती है पूजा
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन को धन्वंतरि देव की जयंती के रूप में भी मनाते हैं. धनतेरस 2021 पर धनवंतिर देव की पूजा के साथ कुबेर, लक्ष्मी, गणेश और यम की भी पूजा की जाती है.
धनतेरस पर वाहन खरीदने का शुभ समय
धनतेरस के दिन वाहन खरीदना शुभ एवं सौभाग्य दायक होता है. हम सब अपने पैरों से चलते हैं और पैरों का इक्स्टेन्शन यानी विस्तार ही वाहन है. पैर यानी वाहन हमें एक कवच प्रदान करता है और सुरक्षित रखते हुए मंजिल तक पहुंचाता है. इसलिए वाहन शुभमुहूर्त में लिया जाए तो अत्यधिक उपयुक्त होता है. वाहन का सौभाग्य यही है कि वाहक को जो भी यात्राएं कराए व जिस प्रयोजन से घर से निकले वह सुरक्षित एवं सार्थक हो. इसलिए यदि धनतेरस जैसे शुभ मुहूर्त में वाहन की डिलिवरी ली जाए तो वाहन लकी यानी सौभाग्यशाली होता है. यदि वाहन की डिलिवरी धनतेरस को नहीं मिल पा रही हो तो कम से कम उस दिन बुक करा देना चाहिए.
नए वाहन की पूजा विधि
वाहन की पूजा घर की वरिष्ठतम महिला यानी वृद्ध महिला से करानी चाहिए. वाहन के ऊपर आम या फिर अशोक के पत्तों से जल छिड़क कर पूजन करते हैं इसके बाद फिर वाहन में सिंदूर और घी से स्वस्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए. स्वस्तिक शुभ होने के साथ ही काफी ऊर्जा देने वाला होता हैं. यात्रा में किसी प्रकार का व्यवधान न आए इसीलिए स्वस्तिक बनाया जाता है. वाहन को फूल एवं माला अर्पित करते हुए उसका अभिन्नदन करना चाहिए.
रक्षा सूत्र बांधे
वाहन में शकुन के तौर पर कलावा यानी रक्षा-सूत्र बांध कर आरती करनी चाहिए. अब वाहन पर मिठाई रखें. बाद में ये मिठाई गौ माता को खाने को दें. एक नारियल लेकर नए वाहन पर से सात बार घुमाकर वाहन के आगे फोड़े.
पुराने वाहन की भी कर सकते हैं पूजा
सर्वप्रथम आपको ध्यान रखना होगा कि पुराना वाहन ही आपको यहां तक लेकर आया है इसलिए उसके प्रति सम्मान भाव कम नहीं होना चाहिए और यदि आप उस वाहन को बेच रहे हैं, तो बेचने से पहले एक बार जैसे इसको लिया था तब मंदिर गए थे. ऐसे ही इस बार भी मंदिर जाएंगे इसका पूजन करेंगे और भाव पूर्ण तरीके से उसको विदा करते हुए नए वाहन को स्वीकार करेंगे.आज की खबरें
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धनतेरस शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त सुबह 06 बजकर 18 मिनट और रात 10 से 08 बजकर 11 मिनट और 20 सेकेंड तक रहेगा. इस समय अवधि में धन्वंतरि देव की पूजा की जाएगी. प्रदोष काल 5 बजकर 35 मिनट और 38 सेकेंड से 08 बजकर 11 मिनट और 20 सेकेंड तक रहेगा.
खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर सोना-चांदी के आभूषण खरीदने के लिए शुभ समय शाम 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 08 बजकर 11 मिनट तक है. प्रात: 11 बजकर 30 मिनट से भी खरीदारी कर सकते हैं, राहुकाल के समय खरीदारी से बचें. इस दिन बर्तन और दूसरी अन्य चीजें खरीदने का समय शाम 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक बना हुआ है.
धनतेरस पूजा विधि
धनतेरस के दिन सुबह जल्द उठें और नित्यकर्म निपटाकर पूजा की तैयारी करें. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें. मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए. पंचदेव यानी सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु की स्थापना करें. इसके बाद से करें-
- धन्वंतरि देव की षोडशोपचार या 16 क्रियाओं से पूजा करें. पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार. अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाएं.
- धन्वंतरि देव के सामने धूप, दीप जलाकर मस्तक पर हल्दी, कुमकुम, चंदन और चावल लगाएं. फिर हार और फूल चढ़ाएं.
- पूजा के दौरान अनामिका अंगुली से गंध यानी चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि लगाना चाहिए। षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा कर मंत्र जाप करें.
- पूजा के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) अर्पित करें. ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं होगा. हर पकवान पर एक तुलसी पत्ता भी रखें.
- अंत में आरती करते हुए नैवेद्य चढ़ाकर पूजा पूरी करें. मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं. एक दीया यम के नाम का जलाएं.
- घर या मंदिर में जब भी विशेष पूजा करें तो इष्टदेव के साथ स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता है.