Diwali Puja 2023: आज 12 नवंबर को दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. दीपक की उत्पत्ति सूर्य के अंश से हुई है. पौराणिक मतों में अग्नि के तीन रूपों की व्याख्या की गई है. आकाश में सूर्य, अंतरिक्ष में विद्युत तथा पृथ्वी पर अग्नि. ‘सूर्यांश, संभवोदीपः’ श्लोक की यह पंक्ति सूर्य के अंश से दीपक की उत्पत्ति होने की पुष्टि करती है. प्राचीन काल से ही भारतीय परंपरा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में दीपक को प्रज्जवलित करना अतिशुभ तथा मांगलिक माना गया है. 


मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दीपक के भिन्न-भिन्न प्रकार और उद्देश्य बताए गए है. अलग- अलग उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न तेलों तथा घी से दीपक प्रज्जवलित किया जाता है. जिसका विभिन्न संहिताओं में वर्णन भी है.



किस तेल का दीपक जलाना शुभ


व्यापार में वृद्धि तथा मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सायंकाल के समय घी का दीपक प्रज्जवलित करना शुभ रहता है. शत्रुओं से अपनी रक्षा के लिए तथा सूर्य संबंधी उत्पन्न कष्टों से मुक्ति के लिए सरसों के तेल का दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए, न्याय पाने के लिए तथा स्वस्थ रहने के लिए तिल के तेल का दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए. सौभाग्य प्राप्ति के लिए घी का दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए. अलसी के तेल का दीपक प्रज्जवलित करने से राहु तथा केतु की शांति होती है.


किस दीपक को किस आसन पर करें विराजमान  


धातुओं के दीपकों में अगर आप सोने का दीपक प्रज्वलित करते हैं तो ध्यान रखें, दीपक में गाय का शुद्ध घी हो, इसे पूर्व दिशा की ओर प्रज्जवलित करें. दीपक को गेहूं के आसन पर रखकर चारों ओर कमल अथवा गुलाब की पंखुड़ियां सजाएं. इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होगी, धन वृद्धि के साथ-साथ सुख-शांति भी बढ़ेगी. अगर दीपक चांदी का है तो चावलों के आसन पर रखकर ऐसा ही करें. तांबे के दीपक को मसूर के आसन पर रखकर लाल फूलों की पंखुड़ियों से सज्जित करें. 


कांसे के दीपक को चने की दाल के आसन पर रखकर चारों ओर पीले रंग के फूल, लौहे के दीपक को उड़द की दाल के आसन पर रखकर नीले या काले रंग के फूल से सज्जित करें. इनमें तेल भरकर तांबे के दीपक को दक्षिण दिशा में, कांसे के दीपक को उत्तर दिशा में तथा लौहे के दीपक को पूर्व दिशा में प्रज्जवलित करें. इससे मनोबल में वृद्धि, अनिष्ट की समाप्ति, धन की स्थिरता होगी, आपदा-दुर्घटना से बचाव होगा. 


मिट्टी के दीपक को तुलसी के पौधे के पास रखकर तथा आटे के चैमुखे दीपक को चैराहे पर रखकर शुद्ध घी से जलाएं तो बुरी शक्तियों के दुष्प्रभावों का नाश होगा. चहुंमुखी लाभों की प्राप्ति होगी. पूजा के समय प्रज्जवलित किया गया दीपक रात भर प्रज्जवलित रहना चाहिए. दीपावली की रात्रि को इससे दरिद्रता समाप्त होने के साथ घर में वैभव, सम्पदा, खुशियों की भी वृद्धि होगी.


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