प्रतिदिन करें ‘नवग्रह कवच’ का पाठ, मिलेंगे चमत्कारिक लाभ
मान्यता है कि कुंडली में अगर ग्रहों का अशुभ प्रभाव या ग्रहदोष हो तो यामल तंत्र में दिया गया 'नवग्रह-कवच' का पाठ बहुत असरदार सिद्ध होता है.
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि हमारे जीवन पर नवग्रहों का गहरा असर पड़ता है. ग्रहों की बदलती चाल से हमारे जीवन में भी परिवर्तन आता है. ग्रहों आधार पर ही व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में भविष्यवाणियां की जाती है. कुंडली में ग्रहों की अच्छी और खराब स्थिति के कारण ही व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। ग्रहों के दोषों को दूर करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं आज हम आपको ‘नवग्रह कवच’ के बारे में बता रहे हैं.
यामल तंत्र में ‘नवग्रह कवच’ का वर्णन आता है. मान्यता है कि कुंडली में अगर ग्रहों का अशुभ प्रभाव या ग्रहदोष हो तो यामल तंत्र में दिया गया 'नवग्रह-कवच' का पाठ बहुत असरदार सिद्ध होता है.
मान्यता है कि नवग्रह कवच का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए. इसके पाठ करने से हर प्रकार की समस्या खत्म हो जाती है. मंत्रों का उच्चारण करते समय सदा उच्चारण का ध्यान रखना चाहिए. सही उच्चारण से ही मंत्र का शुभ फल प्राप्त होता है.
नवग्रह कवच ॐ शिरो मे पातु मार्तण्ड: कपालं रोहिणीपति:। मुखमङ्गारक: पातु कण्ठं च शशिनन्दन:।। बुद्धिं जीव: सदा पातु हृदयं भृगुनन्दन:। जठरं च शनि: पातु जिह्वां मे दितिनन्दन:।। पादौ केतु: सदा पातु वारा: सर्वाङ्गमेव च। तिथयोऽष्टौ दिश: पान्तु नक्षत्राणि वपु: सदा।। अंसौ राशि: सदा पातु योगश्च स्थैर्यमेव च। सुचिरायु: सुखी पुत्री युद्धे च विजयी भवेत्।। रोगात्प्रमुच्यते रोगी बन्धो मुच्येत बन्धनात्। श्रियं च लभते नित्यं रिष्टिस्तस्य न जायते।। य: करे धारयेन्नित्यं तस्य रिष्टिर्न जायते।। पठनात् कवचस्यास्य सर्वपापात् प्रमुच्यते। मृतवत्सा च या नारी काकवन्ध्या च या भवेत्। जीववत्सा पुत्रवती भवत्येव न संशय:।। एतां रक्षां पठेद् यस्तु अङ्ग स्पृष्ट्वापि वा पठेत्।।
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