Shanishchari Amavasya 2022: पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 29 अप्रैल को देर रात 12 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रही जो 30 अप्रैल दिन शनिवार को देर रात 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी. इस लिए शनिचरी अमावस्या 30 अप्रैल को होगी. शनिचरी अमावस्या शनि की महादशा के प्रभाव से बचने के लिए सबसे उत्तम तिथि होती है. इस दिन इन कामों को करने से शनि प्रभाव कम होता है और पितर भी खुश होते हैं. इनके आशीर्वाद से मन-सामान, सुख समृद्धि और धन वैभव में वृद्धि होती है.
शनि अमावस्या स्नान दान शुभ मुहूर्त व महत्त्व
शनिचरी अमावस्या यानी 30 अप्रैल को दोपहर बाद 3 बजकर 20 मिनट तक प्रीति योग रहेगा. प्रीति योग प्रेम का विस्तार करने वाला होता है. साथ ही रात 8 बजकर 13 मिनट तक अश्विनी नक्षत्र रहेगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अश्विनी नक्षत्र यात्रा आरंभ करने के लिए, कृषि के लिए, नए वस्त्र खरीदने और मांगलिक कार्यों के लिए बहत ही शुभ फलदायी होता है. ऐसे में शनिचरी अमावस्या अधिक शुभ फल देने वाला हो जाता है. इस दिन सुबह से ही स्नान और दान कर सकते हैं.
पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर माह की अमावस्या को स्नान दान और पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण का बहुत ही महत्व होता है. पितृ दोष से मुक्ति के लिये एवं पितरों का आशीर्वाद पाने के लिये शनिश्चरी अमावस्या के दिन दूध, चावल की खीर बनाकर, गोबर के उपले या कंडे की कोर जलाकर, उस पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाना चाहिए. इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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