विक्रम संवत 2078 में ऐसी रहेगी देवगुरु और शनिदेव की चाल, शनिदेव वक्री अवस्था में 142 दिन रहेंगे
13 अप्रैल 2021, मंगलवार का दिन नव संवत्सर विक्रम संवत 2078 का आरंभ दिवस है. चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से आगामी चैत्र अमावस्या तक ग्रहों की चाल कई बार बदलेगी.
चैत्र नवरात्र के साथ नव संवत्सर का आरंभ हो रहा है. नव संवत्सर विक्रम संवत 2078 में नवग्रहों शनि और गुरु की ग्रह चाल सबसे महत्वपूर्ण रहेगी. इन ग्रहों के प्रभाव से वर्ष मकर, कुंभ, कर्क और सिंह राशी सीधी प्रभावित रहेंगी.
देवगुरु बृहस्पति नव संवत्सर में कुंभ में मार्गी चाल के साथ प्रवेश ले रहे हैं. वे 20 जून 2021 को वक्री होंगे. गुरु सितंबर 14 से मकर राशि में वक्री होंगे. इस परिवर्तन से गुरु मकर राशि में पुनः कमजोर होंगे. शनिदेव से भी शत्रुता की स्थिति बनाएंगे.
20 नवंबर 2021 को गुरु पुनः कुंभ में प्रवेश लेंगे. कुंभ में वर्ष पर्यंत अर्थात पूरे विक्रम संवत 2078 तक बने रहेंगे. 24 फरवरी 2022 को पश्चिम में अस्त होंगे. 22 मार्च 2022 को पूरब में उदय होंगे. इस बीच विवाहादि मांगलिक कार्याें पर रोक रहेगी.
शनिदेव वर्ष पर्यंत मकर राशि में बने रहेंगे. वे 23 मई 2021 को वक्री होंगे. वक्री गति में वे 11 अक्टूबर 2021 तक रहेंगे. शनिदेव वक्री अवस्था में लगभग 142 दिन रहेंगे. गुरु और शनि की वक्री चाल वर्ष के उत्तरार्ध में बडे़ राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक बदलावों की कारक बनेगी. भौगोलिक बदलाव की भी आशंका रहेगी.
बता दें कि जब शनि और गुरु ग्रह सूर्य ग्र्ह से 120 डिग्री से ज्यादा दूरी पर रहते हैं तो उनकी गति ज्योतिष गणना में उलटी हो जाती है. इसी को वक्री गति कहा जाता है. सूर्य से आगे या पीछे की स्थिति में इन दोनों ग्रहों की दूरी 120 डिग्री के भीतर आते ही ग्रह चाल मार्गी हो जाती है.