कोरोना काल में यात्रा कठिनाई पूर्ण मानी जाने लगी है. घर से निकलने से पहले लोग कई बार सोचते हैं. अनिवार्य यात्रा की शुभता का प्रतिशत रास्ते में दिखाई देने वाले शुभ संकेतों से हो जाता है. यात्रा के दौरान आगे से ‘चले आओ‘ वाक्य सुनाई दे तो निश्चित ही यात्रा सफल रहने वाली होगी. इसके विपरीत ‘चले जाओ‘ शब्द सुनाई दें जो दो मिनट ठहरकर ही यात्रा आरंभ करें.
इसी प्रकार दूर से आने वाला शोर, अकेला वृद्ध पुरुष, गौ, घोड़े, हाथी नजर आएं तो यात्रा में शुभता का संचार रहता है. देव प्रतिमा, लौ उठती अग्नि, सोना, चांदी और रत्नादि दिखाई पड़ें तो यात्रा मंगलकारी होती है.
दूर्वा, ताजा गोबर, औषधियां, मूंग, फल, घी, दही, दूध, अछत नजर आए जो यात्रा के अवरोध नष्ट हो जाते हैं. मार्ग की सफलता के प्रयासों में गति आती है.
राजचिह्न, शंख, दर्पण, बैंड-बाजा और मेघ गर्जना सुनाई दे तो व्यक्ति की यात्रा लक्ष्य को प्राप्त करती है. न्यायिक मामले बनते हैं. मिथ्यारोपादि की आशंका दूर हो जाती है.
रास्ते में मृत व्यक्ति की अंतिम यात्रा, गाय-बछड़े का साथ, निर्वस्त्र बालक नजर आए तो यात्रा चहुंओर सफलता के संकेत प्राप्त करती है. रास्ते स्वयं निष्कंटक होते चले जाते हैं.
यात्रा के दौरान शहद, गन्ना नजर आएं और शुभ सूचक वचनों का श्रवण हो तो परिणाम बनते हैं. आर्थिक लाभ की संभावना रहती है. परीक्षादि के पक्ष में रहने का प्रतिशत अच्छा रहता है.