Dussehra In 2023: दशहरा का त्योहार हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है. इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. रावण के बुरे कर्म पर श्रीराम की अच्छाई की जीत हुई इसलिए इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाते हैं.  विजयदशमी पर रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है. रावण के साथ ही उसके बेटे मेघनाथ और भाई कुंभकरण के पुतले का भी दहन किया जाता है.


दशहरा 2023 डेट


इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर, सोमवार के दिन शाम 05 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी. इसका समापन 24 अक्टूबर, मंगलवार को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर होगा. ऐसे में दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 02 बजकर 43 मिनट तक है. 



इस साल दशहरा पर दो शुभ योग, रवि योग और वृद्धि योग भी बन रहे हैं. रवि योग सुबह 06 बजकर 27 मिनट से दोपहर 03 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. उसके बाद शाम 06 बजकर 38 मिनट से 25 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 28 मिनट तक रवि योग रहेगा. वहीं वृद्धि योग दोपहर 03 बजकर 40 मिनट से प्रारंभ होगा और पूरी रात रहेगा.


दशहरा क्यों मनाया जाता है? 


दशहरा पर्व को असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाता है. ये पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है. विजयादशमी यानी दशहरा नवरात्रि खत्म होने के अगले दिन मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने इस दिन ही रावण का वध किया था. शास्त्रों के अनुसार रावण का वध करने से पहले भगवान राम ने समुद्र तट पर 9 दिनों तक मां दुर्गा की अराधना की थी फिर दसवें दिन उन्हें विजय प्राप्त हुई. 


एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार, महिषासुर नामक एक राक्षस को ब्रह्मा जी से आशीर्वाद मिला था कि पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति उसे नहीं मार सकता है. इस आशीर्वाद के कारण उसने तीनों लोक में हाहाकार मचा रखा था. उसके बढ़ते पापों को रोकने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी ने अपनी शक्ति को मिलाकर मां दुर्गा का सृजन किया. 


मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर का मुकाबला किया और दसवें दिन इस असुर का वध कर दिया. इसके फलस्वरूप लोगों को इस राक्षस से मुक्ति मिल गई और चारों तरफ हर्ष का मौहाल हो गया. मां दुर्गा को दसवें दिन विजय प्राप्त हुई थी इस कारण इस दिन को दशहरा या विजयादशमी के रूप में मनाया जाने लगा.


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