Dussehra Vijayadashami 2021: विजय दशमी का पर्व भगवान राम को समर्पित है. इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध कर इस धरती को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया था. आज के दिन भगवान राम को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए राम जी की आरती को विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है. विजय दशमी पर घर में इस आरती का पाठ करने से प्रभु श्रीराम के साथ माता सीता और हनुमान जी की भी कृपा प्राप्त होती है.
राम जी की आरती (ram ji ki aarti)
आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥
स्तुति प्रभु श्री राम (stuti ram ji ki/ram ji ki stuti)
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
श्री राम जी के मंत्र (ram ji ke mantra)
- ऊॅं रां रामाय नम:
- ऊॅं रामचंद्राय नम:
- ऊॅं रामचंद्राय नम:
- ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा’