Ekadashi Rules: एकादशी का व्रत सभी व्रतों में विशेष महत्व रखता है. मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसके सारे पाप कट जाते हैं. एकादशी को महान पुण्य देने वाली तिथि माना गया है. प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत करने से हवन, यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी अधिक फल मिलता है. एकादशी व्रत में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है.
एकादशी के नियम
- एकादशी व्रत करने के नियम बहुत ही सख्त होते हैं. इसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना पड़ता है.
- एकादशी व्रत करने वाले लोगों को दशमी यानी एकादशी से एक दिन पहले मांस-मछली, प्याज, मसूर की दाल और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन चावल का सेवन भी वर्जित होता है.
- एकादशी का व्रत करने वालों को दशमी और एकादशी दोनों दिन भोग-विलास से दूर पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इस दिन भूलकर भी वृक्ष से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए.
- एकादशी के दिन घर में बहुत ध्यान से झाड़ू लगाना चाहिए. घर में झाड़ू लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चीटियों या छोटे-छोटे जीवों को कोई नुकसान ना पहुंचे.
- इस दिन बाल कटवाना अशुभ माना जाता है. एकादशी के दिन बहुत सोच-समझकर बोलना चाहिए. इस दिन किसी का दिया हुआ अन्न नहीं खाना चाहिए. फलहारी हैं तो भी इस दिन गोभी, पालक और शलजम का सेवन करने से बचें.
- एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को रात्रि का जागरण करना चाहिए. इस दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मंत्र का जाप करें. भगवान विष्णु का स्मरण कर उनकी प्रार्थना करें.
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