Ekadashi Rules: एकादशी का व्रत सभी व्रतों में विशेष महत्व रखता है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत 20 नवंबर को है. माना जाता है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसके सारे पाप कट जाते हैं. पद्म पुराण के अनुसार एकादशी को महान पुण्य देने वाली तिथि कहा गया है. प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना अलग महत्व है. मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड से भी अधिक फल देता है. एक मान्यता यह भी है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसके पूर्वज या पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है.


एकादशी के नियम


एकादशी व्रत करने के सख्त नियम बहुत ही सख्त होता है. इसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना पड़ता है. एकादशी व्रत करने वाले लोगों को दशमी यानी एकादशी से एक दिन पहले के दिन से कुछ जरूरी नियमों को मानना पड़ता है. दशमी के दिन से ही श्रद्धालुओं को मांस-मछली, प्याज, मसूर की दाल और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. दशमी और एकादशी दोनों दिन लोगों को भोग-विलास से दूर पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.


एकादशी के दिन ना करें ये काम


एकादशी के दिन भूलकर भी वृक्ष से पत्ते नहीं तोड़ेने चाहिए. इस दिन घर में बहुत ध्यान से झाड़ू लगाना चाहिए. घर में झाड़ू लगाने समय ध्यान रखना चाहिए कि चीटियों या छोटे-छोटे जीवों को कोई नुकसान ना पहुंचे. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए. एकादशी के दिन बहुत सोच-समझकर बोलना चाहिए.इस दिन चावल का सेवन भी वर्जित होता है. एकादशी के दिन किसी का दिया हुआ अन्न नहीं खाना चाहिए. फलहारी हैं तो इस दिन गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन न करें.


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