Vastu Directions for House : वास्तु शास्त्र में हर दिशा का है अपना महत्व, ध्यान में रखकर करें हर चीज़ का निर्माण
वास्तु शास्त्र को दिशाओं का शास्त्र कहें तो कुछ गलत ना होगा क्योंकि इसमें हर उपाय दिशा को आधार मानकर ही बताया गया है. क्योंकि हर दिशा का अपना एक अलग महत्व है और उसी महत्व को ध्यान में रखकर ही हर चीज़ का निर्माण व स्थापना करनी चाहिए.

वास्तु शास्त्र(Vastu Shastra) एक ऐसा शास्त्र है जिसमें सुखी जीवन के कई रहस्य छिपे हैं. अगर इसमें दिए गए नियमों के अनुसार ज़िंदगी जी जाए तो काफी हद तक दुख तकलीफों से छुटकारा पाया जा सकता है. वास्तु शास्त्र को दिशाओं का शास्त्र कहें तो कुछ गलत ना होगा क्योंकि इसमें हर उपाय दिशा को आधार मानकर ही बताया गया है. क्योंकि हर दिशा का अपना एक अलग महत्व है और उसी महत्व को ध्यान में रखकर ही हर चीज़ का निर्माण व स्थापना करनी चाहिए. जब आप घर का निर्माण करें तो भी वास्तु शास्त्र के नियमों का खास ख्याल रखें. चलिए अब आपको बताते हैं कि वास्तु शास्त्र में हर दिशा किस तरह से महत्वपूर्ण होती है.
उत्तर दिशा
अगर आप घर का निर्माण करने जा रहे हैं तो उत्तर दिशा में सबसे ज्यादा दरवाज़े व खिड़की होना शुभ फलदायी होता है. वहीं घर की बालकनी इसी दिशा में बनाना चाहिए. यह दिशा काफी महत्वपूर्ण होती है, और इस दिशा में वास्तुदोष होने से धन की हानि होने की संभावना काफी बढ़ जाती है.
दक्षिण दिशा
इस दिशा को यम की दिशा माना जाता है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर की दक्षिण दिशा बाकी दिशाओं से भारी होनी चाहिए. इसीलिए घर का भारी सामान इसी हिस्से में रखना उचित रहता है इससे घर का मालिक सुखी, समृद्ध व निरोगी काया वाला होता है। वहीं भूलकर भी इस दिशा में शौचालय नहीं बनाना चाहिए.
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा सकारात्मक व ऊर्जावान मानी गई है क्योंकि यह सूर्योदय की दिशा है. इस दिशा में घर का प्रवेश द्वार व खिड़की होनी चाहिए. वहीं ज़रुरी है कि बच्चे भी इसी दिशा की तरफ मुंह करके पढ़ें इससे उनमें एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है.
पश्चिम दिशा
अगर घर का निर्माण करने जा रहे हैं तो घर का रसोईघर व टॉयलेट इस दिशा में रखें. इसके अलावा इस दिशा में भूमि का थोड़ा ऊंचा होना ठीक माना जाता है.
उत्तर-पूर्व दिशा
इस दिशा को ईशान कोण के नाम से भी जाना जाता है. चूंकि ये कोण जल के लिए होता है इसीलिए इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल व बाथरूम होना चाहिए. वहीं घर का मुख्य द्वार उत्तर पूर्व दिशा में भी बनाया जा सकता है.
उत्तर-पश्चिम दिशा
उत्तर - पश्चिम दिशा को वायव्य कोण भी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिशा में बेडरूम, गैराज या गौशाला बनाना उचित रहता है. वहीं अगर आपको सरवेंट रूम बनाना है तो उसके लिए भी इसी दिशा का चयन करना चाहिए.
दक्षिण-पूर्व दिशा
यह अग्नि की दिशा मानी जाती है इसीलिए इसे आग्नेय कोण के नाम से भी जाना जाता है. चूंकि रसोईघर में अग्नि देव का वास होता है. लिहाज़ा इस दिशा में रसोईघर बनाया जा सकता है.
दक्षिण-पश्चिम दिशा
नैऋत्य कोण कहलाने वाली इस दिशा में घर के मुखिया का कमरा बनाया जा सकता है. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि इस दिशा में खिड़की व दरवाजों का निर्माण नहीं करना चाहिए.
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