First Day Of Navratri: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं. शैल का अर्थ है पत्थर या पहाड़. मां शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता बनी रहती है. मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.


मान्यता है कि मां शैलपुत्री देवी सती ही हैं. पूर्व जन्म वो दक्ष प्रजापति के यहां जन्मी थीं. तपस्या करके उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाया था. ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं. उनकी उपासना से चंद्रमा के बुरे प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं.  मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है.


मां शैलपुत्री के प्रभावशाली मंत्र


-ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥


-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।


वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥


-या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।


नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


मां शैलपुत्री का मंत्र जपने से होते हैं लाभ


मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता आती है. इसके जाप से व्यक्ति में धैर्य और इच्छाशक्ति की वृद्धि होती है. मां शैलपुत्री अपने मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं. इनकी पूजा और मंत्र जाप से चंद्रमा संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं. जो भक्त पूरी श्रद्धा भाव से मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं, मां उन्हे सुख और सौभाग्य का वरदान देती हैं.


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