अच्छा स्वास्थ्य सुखी जीवन का आधार है. बहुत सी बीमारियों का सीधा संबंध हमारी खान-पान की आदतों से है. वास्तु शास्त्र और गरुण पुराण के मुताबिक भोजन करने के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं. परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य और उनके जीवन की खुशहाली के लिए यह जरूरी है हम इन नियमों का पालन करें.
- आप भोजन किस दिशा में कर रहे हैं यह बहुत महत्वपूर्ण है. भोजन करते वक्त आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए. इन दोनों दिशाओं में देवाता वास कर करते हैं.
- पश्चिम और दक्षिण दिशा में कभी भी मुख करके भोजन नहीं करना चाहिए. माना जाता है कि इन दोनों दिशाओं में नकारात्मक ऊर्जा का वास है.
- आपके रसोई घर में यदि टूटे बर्तन हैं तो उन्हें तुरंत हटा दें. रसोई घर में टूटे बर्तन दुर्भाग्य को न्योता है. कभी भी खाना टूटे हुए बर्तनों में नहीं खाना चाहिए.
- व्यक्ति को खड़े होकर, थाली हाथ में लेकर या बिस्तर पर भोजन नहीं करना चाहिए.
- खाना खाते वक्त आपकी थाली आपके बैठने के स्थान से ऊपर होनी चाहिए.
- डाइनिंग रूम के सामने घर का मुख्य द्वार या शौचालय नहीं होना चाहिए. इससे आपसी कलह व मानसिक कष्ट पैदा हो सकते हैं.
- आयताकार या चौकोर आकार की डाइनिंग टेबल का उपयोग करना अच्छा रहता है.
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