जन्म कुंडली के इस भाव में हो केतु तो व्यक्ति करता है विदेश की सैर
Foreign Travel Astrology: वृश्चिक राशि में केतु विराजमान है. केतु को विदेश यात्रा का कारक माना गया है. जन्म कुंडली में केतु की स्थिति से विदेश यात्रा का पता लगाया जाता है.
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Ketu in 12th House: विदेश यात्रा पर जाने की इच्छा काफी लोगों में होती है. शिक्षा, व्यापार और पर्यटन के लिए भी लोग विदेश जाते हैं. लेकिन विदेश जाने का योग आपकी जन्म कुंडली में है या नहीं इसका पता ग्रहों की स्थिति को देखकर भी लगाया जा सकता है.
केतु ग्रह विदेश यात्रा का कारक है
ज्योतिष शास्त्र में केतु को पाप ग्रह होने के बाद भी महत्वपूर्ण माना गया है. केतु को छाया ग्रह माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में केतु को एक रहस्मय ग्रह भी बताया गया है. केतु शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल प्रदान करता है. केतु मोक्ष का कारक भी माना गया है.
केतु के जन्म की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों के मध्य समुद्र मंथन की प्रक्रिया चल रही थी तो इसमें 14 रत्नों की प्राप्ति हुई. मंथन से जब अमृत कलश निकला तो असुर और देवताओं में विवाद छिड़ गया. असुर स्वयं अमृत पीना चाहते थे. देवता इस बात से भयभीत हो गए कि यदि असुरों ने अमृत पी लिया तो वे अमर हो जाएंगे और संपूर्ण लोक पर उनका भय व्याप्त हो जाएगा. तब भगवान विष्णु ने मोहिन रूप धारण कर असरों से अमृत कलश प्राप्त कर लिया और देवताओं को अमृत पान करा दिया लेकिन स्वरभानु नाम का दैत्य वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में चुपचाप बैठ गया और उसने भी अमृत पी लिया.
इस बात की जानकारी चंद्रमा और सूर्य को हो गई और इन दोनों ने तुरंत भगवान विष्णु को इसकी सूचना दे दी. भगवान विष्णु ने फौरन ही स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन तब तक अमृत की एक बूंद उसके गले से नीचे उतर गई. इसी कारण सिर राहु और धड़ वाला हिस्सा केतु कहलाया. अमृत पीने के कारण ये दोनों ही अमर हो गए. पौराणिक कथा के अनुसार चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण की स्थिति राहु और केतु के कारण बनती है.
विदेश यात्रा का योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब जन्म कुंडली के 12वें भाव में केतु होता है तो व्यक्ति विदेश यात्रा करता है. कुंडली के 12वें भाव को व्यय का भाव माना गया है. यहां पर यदि केतु आ जाए तो ऐसा व्यक्ति हमेशा विदेश जाने के लिए तैयार रहता है. ऐसे लोगों को विदेश यात्राओं से धन लाभ भी प्राप्त होता है.
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