Mahatma Gandhi Jayanti 2024: अंग्रेजों के जुल्म से देश को आजाद कराने में तमाम स्वतंत्रता सेनानियों (Freedom Fighters) की तरह महात्मा गांधी की भी अहम भूमिका रही. गांधी जी को यह अच्छे से मालूम था कि अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ना है तो हिंदू और मुसलमानों को एक होना पड़ेगा और दोनों को मिलकर आजादी की लड़ाई लड़नी होगी.


इसलिए गांधी जी देश की स्वतंत्रता, प्रगति और उन्नति एकता और आपसी भाईचारे में देखते थे. गांधी जी का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था. लेकिन वे हिंदू धार्मिक ग्रंथों के साथ ही अन्य धर्मों का भी सम्मान करते थे और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते थे. बापू गांधी कुरान (Quran) भी पढ़ते थे.


कुरान पढ़ते थे गांधी जी


मौलाना आजाद ने अपने लेख में बताया था कि, एक बार जब वे सुबह फज्र की नमाज (Namaz) के बाद गांधी जी के पास गए तो देखा कि वे कुरान पढ़ रहे थे. इतना ही नहीं वे अपने मुख से शुद्ध अरबी में उच्चारण करते हुए कह रहे थे-‘सूरह-ए-इखलास’. यह सुनते ही पहले तो मौलाना आजाद जी को हैरानी भी हुई. गांधी जी ने देखा कि मौलाना आजाद उन्हें देख हैरान है. तो उन्होंने कहा मौलाना साहब मैं तो रोज सवेरे कुरान शरीफ पढ़ता हूं.


गांधी जी आती थी सूरा-ए-फातिहा


गांधी जी को सूरह-ए-फातिहा (surah al fatiha) भी आती थी. उन्होंने अपनी दैनिक प्रार्थना सेवा के हिस्से के रूप में पवित्र कुरान से सूरह फातिहा को लगातार शामिल किया. एक बार इसी के कारण उनकी जान भी बची. हुआ यूं कि आजादी से कुछ समय पहले बंगाल में हिंदू-मुसलमान के बीच दंगे हुए. नोआखाली नरसंहार से हिंदू-मुस्लिम एकता टूटने के कगार पर आ गई और गांधी जी को इसका बहुत बड़ा धक्का लगा. इसलिए वे तुरंत दिल्ली से नोआखाली के निकल पड़े.


नोआखाली पहुंचते ही गांधी जी ने पैदल भ्रमण करना शुरू कर दिया. वे नोआखाली के बाबू बाजार में शांति यात्रा पर घर-घर जा रहे थे. तभी एक मुसलमान बंगाली ने गांधी जी का गला दबाते हुए उन्हें जमीन पर गिरा दिया, जिसका नाम अल्लाहदाद मोंडल था.


अल्लाहदाद मोंडल ने गांधी जी को जमीन पर गिरा कर बोला, काफिर, तेरी हिम्मत कैसे हुई यहां कदम भी रखने की. गांधी जी ने तुरंत सूरह-ए-फातिहा पढ़ी. यह देख अल्लाहदाद मोंडल हैरान रह गया, उसे अपने किए पर शर्म आने लगी कि, उसने इतने भले और गुणी महात्मा समान व्यक्ति के साथ ऐसा बर्ताव किया. वह तुरंत गांधी के जी पैर पर गिर पड़ा और माफी मांगी. बापू ने भी उसे माफ कर दिया.


सूरा-ए-फातिहा क्या होती है


सूरा-ए-फातिहा या सूरा-अल-फातिहा पवित्र ग्रंथ इस्लाम (Islam) का पहला अध्याय या सूरा है. इसमें 7 आयतें हैं. मुसलमान इसे दैनिक प्रार्थना के शुरुआत में पढ़ते हैं. सूरा-ए-फातिहा में अल्लाह की प्रशंसा की गई है, कौमों का जिक्र किया गया है.


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