Ganesh Chaturthi 2022 Highlight: गणपति की पूजा में भूलकर भी न पहने इस रंग के वस्त्र
Ganesh Chaturthi 2022 Highlight: गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन गणेश जी की स्थापना की जाती है. गणेश चतुर्थी से गणेश महोत्सव का आरंभ होता है.
कनॉट प्लेस का श्री गणेश मंदिर: यह मंदिर कनॉट प्लेस में स्थित है. इस मंदिर में दक्षिण भारतीय मूल के पुजारियों द्वारा हाथी के सिर वाले भगवान की एक बड़ी मूर्ति की पूजा की जाती है. इस मंदिर के अंदर 9 ग्रह के मंदिर भी हैं और दूसरे देवताओं के छोटे मंदिरों की भी पूजा होती है.
अजमेरी गेट का श्री गणेश मंदिर: इस मंदिर के बाहरी दिवारों को लाल रंग से रंगा गया है साथ ही आपको यहां काफी सुंदर जटिल कलाकृति देखने को मिलेगी. गणेश चतुर्थी के दौरान भक्त यहां दर्शन के लिए जरूर आते हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महादेव के परम भक्त परशुराम जी उनसे भेंट करने कैलाश पहुंचे. भोलेनाथ तपस्या में लीन थे तो भगवान गणेश ने परशुराम जी को शिव जी से मिलने के लिए रोक दिया. इसके बाद गणपति और परशुराम जी के बीच युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध में परशुराम जी के फरसे से गणपति का एक दांत टूट गया था.
एक और पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार कार्तिकेय अपने कार्य में मग्य थे. गणपति जी उनके कार्य में बार-बार विघ्न डाल रहे थे. गुस्से में आकर कार्तिकेय ने गणपति का एक दांत तोड़ दिया. महादेव के समझाने पर कार्तिकेय ने गणपति को दांत वापस कर दिया लेकिन साथ ही एक श्राप दिया कि ये टूटा दांत गणेश को सदा अपने हाथ में रखना होगा. अगर गणेश ने इसे खुद से अलग किया तो यही टूटा दांत इन्हें भष्म कर देगा.
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश यंत्र की स्थापना जरूर करें. धार्मिक मान्यता है कि गणेश यंत्र की स्थापना और पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है. घर में सुख- समृद्धि बढ़ती है.
गणेश चतुर्थी के दिन 11 गांठ दूर्वा और एक गांठ हल्दी लेकर पीले कपड़े में बांधकर एक पोटली बना लें. इसे अगले 10 दिन तक गणेश की पूजा के इसकी भी पूजा करें. अंतिम दिन पूजा करने के बाद इस पोटली को अपनी तिजोरी में या फिर पैसे रखने की जगह पर रख लें. ऐसा करने से धन आगमन के साथ ही धन में वृद्धि होगी.
धार्मिक मान्यता है कि जिस पर भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं. उनके सारे कष्ट दूर कर देते हैं. उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. सुख समृद्धि और धन वैभव में वृद्धि होती है. इस लिए आज गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप अवश्य करें. कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप से गणेश जी अति प्रसन्न होते हैं.
मंत्र: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
- गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा में भूलकर भी गणेश जी को तुलसी दल अर्पित ना करें.
- गणेश पूजा के समय पीले या सफेद वस्त्र ही धारण करें. काले रंग का कपड़ा भूलकर भी ना पहनें
- घर में गणेश जी की बहुत बड़े आकार की प्रतिमा न स्थापित करें.
- नदी की मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करना काफी शुभ माना जाता है.
- इस दिन चन्द्रमा को अर्घ्य दिए बिना गणेश चतुर्थी व्रत का समापन न करें परंतु इस बात का ध्यान भी रखें कि आज के दिन चंद्रदर्शन वर्जित होता है.
तीसरे दिन गणेश विसर्जन करना चाहते हैं तो उसके लिए पंचांग के अनुसार शुभ समय 2 सितंबर 2022 को प्रातः 5:59 से 10:43 शाम को 5:07 से 6:42 तक रहेगा.
गणेश पूजा के समय पीले या सफेद वस्त्र ही धारण करें. उन्हें मोदक का भोग लगायें. पूजा में 9-11 गांठ दूर्वा अर्पित करें. इससे भगवान गणेश अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं.
आज गणेश चतुर्थी 2022 के शुभ अवसर पर पूरे देश में गणपति की स्थापना की जा रही है. इनकी स्थापना के साथ ही पूरे देश में गणेश जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. अभी तक जो भक्त इनकी स्थापना करना चाह रहें हें. वे अब बिना कुछ देरी किये हुए ही गणपति की स्थापना कर लें क्योंकि चतुर्थी तिथि 3:22 PM तक ही है.
भगवान गणेश जी भक्तों को केवल सुख और सौभाग्य ही नहीं प्रदान करते बल्कि वे अपने भक्तों के संकटों और दुखों को भी दूर करते हैं. कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन इनके 108 नामों का जाप करने से हर कामना पूर्ण होती है. यह भी मान्यता है कि गणेश जी ने देवों के दुखों को भी दूर करने के लिए कई अवतार लिए हैं.
आज गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की स्थापना के लिए शुभ समय केवल दोपहर बाद 3 बजकर 22 मिनट तक है क्योंकि इसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी. ऐसे में अब केवल 3 घंटे शेष रह गए हैं गणपति स्थापना के लिए. ऐसा कहा जाता है, कि गणपति की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से बप्पा बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते है और उनकी कृपा से घर की सुख-शांति बनी रहती है.
यदि कोई काम बिगड़ गया हो या फिर काफी दिनों से रुका पड़ा हो तो आज गणेश चतुर्थी के दिन इन मंत्रों का जाप करें. लाभ होगा.
मंत्र: त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
इस बार गणेश चतुर्थी पर ग्रहों की स्थिति एक विशेष संयोग बन रही है. इस गणेश चतुर्थी पर चार प्रमुख ग्रह अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे. पंचांग के मुताबिक, सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि में, गुरु मीन राशि में और शनि मकर राशि में विराजमान रहेंगे. गणेश चतुर्थी पर ग्रहों का ऐसा संयोग 300 साल बाद बना है. ऐसे में गणेश पूजा का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ गया है.
आज गणेश चतुर्थी पर चंद्रदर्शन नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने से कलंक लगता है.
वर्जित चंद्रदर्शन का समय: 09:26 AM से 09:11 PM अवधि - 11 घण्टे 44 मिनट
जिनकी कुंडली में ग्रह दोष है. उन्हें आज गणेश चतुर्थी पर इन मंत्रों का जाप करना उत्तम लाभ पहुंचाएगा.
मंत्र: गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
10 दिवसीय गणेश महोत्सव का शुभ मुहूर्त भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 30 अगस्त दोपहर से शुरू होकर आज 31 अगस्त दोपहर 03:30 पर समाप्त हो जाएगी. पंचांग के अनुसार इस बार गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना का शुभ मुहूर्त आज 31 अगस्त को दोपहर करीब 03:30 तक है.
गणेश चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत हो जाएं और व्रत का संकल्प लें. जहां गणपति की स्थापन करनी है वहां गंगाजल छिड़कर उस स्थान को पवित्र करें. अब उत्तर पूर्व दिशा में पूजा की चौकी रखें और उस पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाएं.
गणेश चतुर्थी 2022 मुहूर्त-
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शुरू- 30 अगस्त 2022, दोपहर 3.33 मिनट से भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी
तिथि खत्म - 31 अगस्त 2022, दोपहर 3.22 मिनट तक
गणेश जी स्थापना मुहूर्त - 11.05 AM - 1.38 PM (31 अगस्त 2022, बुधवार)
विजय मुहूर्त - दोपहर 2.34 - 3.25 (31 अगस्त 2022)
अमृत काल मुहूर्त - शाम 5.42 - 7.20 (31 अगस्त 2022)
गोधूलि मुहूर्त - शाम 6.36 - 7.00 (31 अगस्त 2022)
ब्रह्मा जी ने गणपति के सामने अपनी दो मानस पुत्रियां रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा. गणेश जी ने इसे स्वीकार कर लिया. इस तरह गणपति की दो पत्नियां रिद्धि-सिद्धि हुई. इनकी दो संतान जिनका नाम शुभ और लाभ था.
पौराणकि कथा के अनुसार एक बार गणेश जी को तपस्या में लीन देखकर तुलसी जी उन पर मोहित हो गईं. तुलसी जी ने गणपति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी से इनकार कर दिया. इस पर तुलसी जी अति क्रोधित हो गईं और उन्होंने गजानन को श्राप दे दिया कि तुम्हारी दो शादियां होगी.
गौरी पुत्र गजानन का जन्मोत्सव 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस साल गणपति स्थापना का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है. भक्त इस शुभ मुहूर्त में गणपति की स्थापना कर विधि विधान से पूजा करें. मान्यता है कि गणपति बप्पा की पूजा से बुद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट से शुरू हो रही है, जो कि अगले दिन 31 अगस्त दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. इसके साथ ही चित्रा नक्षत्र रात्रि 12 बजकर 11 मिनट तक और शुक्ल योग रात्रि 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी होने से इसी दिन गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. इस दिन बुधवार का विशेष संयोग भी प्राप्त होगा. वर्ष 2003 में भी 31 अगस्त को तारीख, चित्रा नक्षत्र और शुक्ल योग का संयोग बना था.
गणेश चतुर्थी के दिन 4 ग्रह अपनी राशि में रहेंगे. सूर्य स्व राशि सिंह में, बुध कन्या राशि में, गुरु मीन राशि में, शनि मकर राशि में होंगे. इसके साथ शुक्र सिंह राशि में प्रवेश करके सूर्य के साथ युति करेंगे. चंद्रमा बुध की राशि कन्या से दोपहर बाद बदलकर तुला राशि में प्रवेश करेंगे. सम्पूर्ण अहोरात्र रवि योग का विशेष संयोग भी बनेगा. गणपति का जन्म मध्याह्न काल में होने से दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 2 बजकर 22 मिनट तक स्थापना पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा.
- गणेश चतुर्थी के दिन गुड़ की छोटी -छोटी 21 गोलियां बना लें. इन गोलियों को दूर्वा के साथ गणेश के चरणों में अर्पित करें. गणेश जी की कृपा से हर मनोकामना पूर्ण होगी.
- गणेश चतुर्थी के दिन स्नान आदि करके भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और गुड़ में शुद्ध घी मिलाकर भोग लगाएं. इसके बाद इसे किसी गाय को खिला दें. भगवान की कृपा से अपार धन की प्राप्ति हो सकती है.
गणेश चतुर्थी पर 11 गांठ दूर्वा और एक गांठ हल्दी को लेकर साफ पीले कपड़े में बांधकर एक पोटली बनालें. अब गणेश चतुर्थी से लेकर अगले 10 दिनों तक इस पोटली की विधि-विधान से पूजा करें. 10वें दिन पूजा करने के बाद इसे तिजोरी में रखें. कभी पैसों की कमी नहीं होगी.
- कर्क राशि: भगवान गणेश की कर्क राशि के जातकों पर विशेष कृपा रहेगी. इनकी कृपा से इनकी नौकरी में तरक्की और व्यापार में मुनाफा होगा.
- वृश्चिक राशि: इन्हें नए जॉब के लिए ऑफर मिल सकता है. जो लोग नौकरी कर रहें हैं उन्हें प्रमोशन मिल सकता है. व्यापार में वृद्धि होगी.
- तुला राशि: इन्हें व्यापार और करियर में अच्छी सफलता मिल सकती है. सारे काम बिना किसी रूकावट के होंगे.
- गणेश चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत हो जाएं और व्रत का संकल्प लें.
- जहां गणपति की स्थापन करनी है वहां गंगाजल छिड़कर उस स्थान को पवित्र करें. अब उत्तर पूर्व दिशा में पूजा की चौकी रखें और उस पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाएं.
- अब चौकी पर थोड़े से अक्षत डालें और उस पर गणपति की प्रतिमा स्थापित करें. इस दौरान गणपति की स्थापना के मंत्र का जाप करें. अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।।
- गणपति की मूर्ति मिट्टी से बनी हो तो फूल से गणेश जी पर गंगाजल, पंचामृत छिड़कें. धातू की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक कर सकते हैं.
- गौरी पुत्र गणेश को रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, चंदन, अबीर, गुलाल, अष्टगंध, मेहंदी, लाल पुष्प , लौंग, इलायची, पान का पत्ता, नारियल अर्पित करें.
- गजानन को जनेऊ पहनाएं और जोड़े से 11 या 21 दूर्वा चढ़ाएं. अब उनके प्रिय भोग मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाए. गणपति को उनके प्रिय पांच फल (केला, सीताफल, जामुन, अमरूद, बेल) अर्पित करें ध्यान रखें प्रसाद में तुलसी न रखे, गणपति की पूजा में तुलसी वर्जित है.
- धूप, दीप लगाकर गणपति चालीसा का पाठ करें और गणेश चतुर्थी की कथा पढ़ें. पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें.
- अब परिवार सहित गणेश जी की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें. 10 दिन तक प्रतिदिन गणपति की सुबह-शाम विधिवत पूजा करें.
- केला - गणेश जी को केला बहुत प्रिय है. गणेश जी की पूजा में कभी एक केला अर्पित न करें. केला हमेशा जोड़े से चढ़ाना चाहिए.
- काला जामुन - गणपति जी बुद्धि के दाता है. गणेश चतुर्थी पर बप्पा की पूजा में काला जामुन का भोग जरूर अर्पित करें. मान्यता है इससे गणेश जी प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं.
- बेल - भगवान भोलेनाथ की तरह गणपति जी को भी बेल का फल बहुत पसंद है. मान्यता है गणेश चतुर्थी पर बेल का फल बप्पा को अर्पित करने से उनका विशेष वरदान प्राप्त होता है.
- सीताफल - सीताफल को शरीफा भी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी पर सीताफल विघ्यहर्ता को अर्पित करने से सारे बिगड़े काम बन जाते हैं.
- अमरूद - गणेश स्थापन के समय पंच फल में अमरूद का भी विशेष स्थान है. मान्यता है कि अमरूद अर्पित करने गणेश जी भक्त के समस्त कष्ट हर लेते हैं.
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को अर्पित करने वाली दूब साफ जगह यानी कि मंदिर, बगीचे से तोड़ें. इसे स्वस्छ जल से जरूर धो लें. गणेश जी को हमेशा जोड़े से दूर्वा चढ़ाई जाती है. 11 या 21 दूर्वा का जोड़ा बनाकर गणेश चतुर्थी पर बप्पा को अर्पित करें. दूर्वा चढ़ात वक्त ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँएकदन्ताय नमः मंत्र का जाप करें.
गणपति जी की स्थपान शुभ मुहूर्त में करने से जातक के हर विघ्न बप्पा हर लेते हैं. घर या मंदिर में गणपति जी की स्थापना के समय इस मंत्र का जाप करें.
अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च। श्री गणपते त्वम सुप्रतिष्ठ वरदे भवेताम।।
पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है. इस बार अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022 को है. इस दिन बप्पा का विसर्जन किया जाता है.
31 अगस्त 2022 दिन बुधवार को प्रात:काल 06:06 बजे से लेकर देर रात 12:12 बजे तक रवि योग है. जबकि प्रात:काल से लेकर रात 10:48 बजे तक शुक्ल योग और शुक्ल योग के समाप्त होने के तुरंत बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा. ये तीनों ही योग पूजा पाठ की दृष्टि से बेहद शुभ माने गए हैं.
गणेश स्थापना मुहूर्त - सुबह 11.05 - दोपहर 1.38 (31 अगस्त 2022)
विजय मुहूर्त - दोपहर 2.34 - 3.25 (31 अगस्त 2022)
अमृत काल मुहूर्त - शाम 5.42 - 7.20 (31 अगस्त 2022)
गोधूलि मुहूर्त - शाम 6.36 - 7.00 (31 अगस्त 2022)
बैकग्राउंड
Ganesh Chaturthi 2022, Ganpati Sthapana Muhurat: देशभर में 31 अगस्त 2022 गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. 10 दिन तक चलते वाला गणेश उत्सव की तैयारियां जोरों पर है. बप्पा के आगमन के लिए जगह-जगह पंडाल बनाए जाते हैं. विशेष सजावट की जाती है. घरों में भी झांकियां बनाई जाती है. मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था. गणेश चतुर्थी से प्रारंभ होने वाले इस महोत्सव में घर-घर में बप्पा की स्थापना की जाती है, 10 दिन तक भक्ति भाव से गणपति जी की पूजा और सेवा की जाती है फिर अनंत चतुदर्शी पर बप्पा अपने लोक वापस लौट जाते हैं.
गणेश जी की जन्म कथा
शिवपुराण के अनुसार गणेश जी का जन्म माता पार्वती के उबटन से हुआ था. देवी माता एक बार हल्दी का उबटन लगा रही थीं. कुछ देर के बाद उन्होंने उबटन को उतार कर एक पुतला बनाया. उसके बाद उस पुतले में प्राण डाले. इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ. माता पार्वती ने लंबोदर को द्वार पर बैठा दिया और बोली कि किसी को भी अंदर मत आने देना. कुछ देर के बाद महादेव आए और घर जाने लगे. इस पर गणेश भगवान ने उन्हें रोक दिया. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणपति की गर्दन काट दी.
जब मां पार्वती ने गणपति की हालत देखा तो वह विलाप करने लगी और महादेव से बोली कि आपने मेरे पुत्र का सिर क्यों काट दिया. भोलेनाथ के पूंछने पर माता पार्वती ने सारी बात बताई और बेटे का सिर वापस लाने को कहा. तब भोलेनाथ ने कहा कि इसमें मैं प्राण तो डाल दूंगा परंतु सिर की जरूरत होगी. तभी भोलेनाथ ने कहा कि हे गरुड़ तुम उत्तर दिशा की ओर जाओ और जो मां अपने बेटे की तरफ पीठ करके लेटी हो, उस बच्चे का सिर ले आओ. गरुड़ काफी समय तक भटकते रहे. आखिरी समय में एक हथिनी मिली जो अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी. गरुड़ उस बच्चे का सिर ले आए. भगवान भोलेनाथ ने वह सिर गणेश के शरीर से जोड़ दिया और उसमें प्राण डाल दिए.
गणेश विसर्जन मुहूर्त
यदि आप गणेश चतुर्थी पर ही गणेश विसर्जन करना चाहते हैं तो आपके लिए शुभ समय 31 अगस्त बुधवार को दोपहर 3:34 से 6:44 तक रहेगा और उसके बाद रात्रि 8:10 से 12:23 तक रहेगा.
यदि आप डेढ़ दिन के बाद गणेश विसर्जन करना चाहते हैं तो इसके लिए शुभ समय 1 सितंबर 2022 बृहस्पतिवार के दिन दोपहर 12:22 से लेकर 3:32 पीएम तक रहेगा और उसके बाद शाम को 5:07 से 6:45 तक अच्छा समय रहेगा.
तीसरे दिन गणेश विसर्जन का शुभ समय 2 सितंबर 2022 को प्रातः 5:59 से 10:43 शाम को 5:07 से 6:42 तक रहेगा.
यदि 5 दिन के गणेश जी का विसर्जन करना चाहते हैं तो 4 सितंबर रविवार को सुबह 7:34 से लेकर 12:19 तक दोपहर में 1:56 से 3:31 तक और शाम को 6:40 से 10:55 तक विसर्जन कर सकते हैं.
यदि सातवें दिन गणेश विसर्जन करना चाहे तो 6 सितंबर मंगलवार को प्रातः काल 9:11 से 1:55 दोपहर 3:29 से 5:04 और शाम को 8:03 से 9:28 के बीच विसर्जन किया जा सकता है.
यदि आप अपने घर गणपति को स्थापित करते हैं तो गणपति का विसर्जन शुक्रवार 9 सितंबर 2022 को विशेष चौघड़िया मुहूर्त में गणपति विसर्जन करना चाहिए.
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