Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी पर नहीं देखना चाहिए चांद, फिर क्यों यहां कलंकित चांद को पूजते हैं लोग
Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी (Kalank Chaturthi) भी कहते हैं. इस दिन चांद देखना वर्जित होता है. लेकिन मिथिला में इस दिन लोग चांद को पूजते हैं और चौरचन (Chaurchan) पर्व मनाते हैं.
Ganesh Chaturthi 2024 Moon Darshan: गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जोकि इस वर्ष 7 सितंबर 2024 को है. इसे विनायक चतुर्थी, गणेश चौथ या कलंक चतुर्थी जैसे नामों से भी जाना जाता है. मिथिला में लोग इस दिन चौरचन पर्व (Chaurchan Festival) मनाते हैं.
क्यों नहीं देखते गणेश चतुर्थी का चांद
वैसे तो देशभर में गणेश उत्सव (Ganesh Utsav) बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन चांद देखने की मनाही होती है. इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो चंद्र दर्शन (Chandra Darshan) करता है, उसपर मिथ्या दोष, कलंक या चोरी आदि का झूठा आरोप लगता है. इसलिए लोग इस दिन चांद को देखना शुभ नहीं मानते हैं.
गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन वर्जित होने के पीछे पौराणिक कथा भी है, जिसके अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का चंद्र दर्शन करने पर भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक मणि के चोरी करने का झूठा आरोप लगा था, जिस कारण उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा था. हालांकि नारद ऋषि के कहने पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष की मुक्ति के लिए उपाय किए और दोष से मुक्त हो गए.
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार चंद्र देव भगवान गणेश की शारीरिक आकृति देखकर हंस रहे थे. गणेश जी को चंद्र देव की बातों से दुख हुआ और उन्होंने चंद्र देवता को श्राप दिया कि, जो भी भाद्र शुक्ल चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करेगा उसे झूठे आरोप से कलंकित होना पड़ेगा.
मिथिला में पूजे जाते हैं कलंकित चंद्रमा
लेकिन मिथिला (Mithila) जोकि अपनी लोक संस्कृति के लिए जानी जाती है, यहां गणेश चतुर्थी पर लोग चंद्र दर्शन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और इस दिन स्त्री-पुरुष सभी चंद्र देवता को पूजते हैं. इस मौके पर श्रद्धाभाव से चोरचन या चौठचंद लोकपर्व मनाया जाता है.
इसके पीछे मिथिला वासियों की ऐसी मान्यता है कि, चंद्रमा कलंकित नहीं है और आकाश में चांद चमक रहा है. चंद्रमा सच्चा है और उसके दर्शन करने वाला भी सदैव चंद्रमा की तरह चमकता रहेगा. गणेश चतुर्थी के दिन मिथिला के लोग सुबह भगवान गणेश की पूजा (Ganesh Puja) करते हैं और फिर चंद्रोदय का इंतजार करते हैं. चंद्रमा उदित होने के बाद दर्शन और पूजन भी करते हैं.
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