Ganesh Ji: जॉब, शिक्षा में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए आज करें ये उपाय, बरसेगी गणेश जी की कृपा
Ganesh Puja on Wednesday: गणेश जी की पूजा के लिए बुधवार का दिन उत्तम माना गया है. गणेश जी बुद्धि और समृद्धि के दाता है. आज बुधवार है. आइए जानते हैं इस दिन के उपाय
Ganesh Puja 2022: 15 जून 2022, बुधवार को पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास का आरंभ हो रहा है. खास बात ये है कि इस मास का आरंभ गणेश जी के प्रिय दिन बुधवार से हो रहा है. इस दिन एक ओर खास खगोलीय घटना घटित हो रहा है. आज के दिन ही ग्रहों की अधिपति सूर्य देव राशि परिवर्तन कर रहे हैं. बुधवार के दिन होने वाले इस राशि परिवर्तन के तहत सूर्य बुध की राशि मिथुन में गोचर करने वाले हैं. मिथुन राशि के स्वामी बुध हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश जी की पूजा करने से बुध ग्रह शुभ फल प्रदान करता है. बुध की अशुभता दूर होती है. इसलिए आज का दिन बहुत ही शुभ है.
गणेश जी की पूजा का महत्व
गणेश जी की विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. विधि पूर्वक और श्रद्धा भाव से भगवान गणेश जी की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट मिट जाते हैं. गणेश जी बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता भी हैं. गणेश जी की पूजा करने के लिए बहुत विशेष नियमों का पालन नहीं किया जाता है. गणेश जी अपने भक्तों के भक्तिभाव को अधिक वरियता प्रदान करते हैं. इसलिए ये अपने भक्तों को बहुत जल्द फल प्रदान करते हैं. जॉब और व्यापार में जिन लोगों को परेशानी आ रही है या फिर जीवन में धन की कमी बनी हुई है, तो आषाढ़ मास में नित्य गणेशजी की पूजा, गणेश जी के मंत्र का जाप कर इन सभी परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है.
गणेश जी की पूजा
बुधवार का दिन गणेश जी का प्रिय दिन है. गणेश जी की पूजा के दौरान दूर्वा घास का प्रयोग बहुत ही शुभ माना गया है. इससे गणेश जी बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. भगवान गणेश जी को दूर्वा घास बहुत प्रिय है. प्रतिदिन यदि संभव न हो तो बुधवार को गणेश जी पर दूर्वा घास जरुर चढ़ाएं. इसके अतिरिक्त गणेश जी को मिष्ठान बहुत प्रिय है. इसका पूजा के दौरान भोग लगाए. मिष्ठान का भोग लगाने के बाद जल अर्पित करें. गणेश जी माता पिता की सेवा करने से भी बहुत प्रसन्न होते हैं. इसलिए माता पिता का आर्शीवाद भी अवश्य लें. पूजा समाप्त होने पर गणेश आरती का पाठ करें.
गणेश जी को इन मंत्रों से करें प्रसन्न
- ॐ गं गणपतये नम:
- वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
- ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये,वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:॥
- ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
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