Gangaur Puja 2023: सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी गणगौर पूजा, जानें शिव-पार्वती की पूजन विधि, भोग और व्रत नियम
Gangaur Puja 2023 Date and Time: 24 मार्च 2023 को गणगौर का त्योहार मनाया जाएगा. मान्यता है कि गणगौर की पूजा करने से सुहाग बना रहता है. आइए जानते हैं गणगौर पूजा की विधि, मुहूर्त.
Gangaur Puja 2023: 24 मार्च 2023 को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन गणगौर का त्योहार मनाया जाएगा. गण और गौर अर्थात शिव और पार्वती, इस दिन सुहागिन शंकर-गौरी की पूजा कर पति की दीर्धायु की कामना करती हैं. श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी लड़कियां भी ये व्रत करती हैं. इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को तथा पार्वती जी ने अपनी उंगली से रक्त निकालकर समस्त स्त्री जाति सुहाग बांटा था. जिसके बाद से ये प्रथा चली आ रही है. मान्यता है कि गणगौर की पूजा करने से सुहाग बना रहता है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है. आइए जानते हैं गणगौर पूजा की विधि, मुहूर्त.
गणगौर पूजा 2023 चौघड़िया मुहूर्त (Gangaur Puja 2023 Muhurat)
- लाभ (उन्नति) - सुबह 07.53 - सुबह 09.24
- अमृत (सर्वोत्तम) - सुबह 09.24 - सुबह 10.56
- शुभ (उत्तम) - दोपहर 12.28 - दोपहर 01.59
गणगौर पूजा 2023 शुभ योग (Gangaur Puja 2023 Shubh yoga)
- सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 06.21 - दोपहर 01.22
- रवि योग - 24 मार्च 2023, दोपहर 01.22 - 25 मार्च 2023, सुबह 06.20
गणगौर की पूजा विधि (Gangaur Puja Vidhi)
- गणगौर पूजा वाले दिन स्नान के पश्चात स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर पूजन शुरू करें.
- मिट्टी के शिव और गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाएं. अब देवी पार्वती को सुहाग की सामग्री (16 श्रृंगार का सामान) अर्पित करें.
- सौभाग्य की कामना लिए दीवार पर सोलह -सोलह बिंदियां रोली,मेहंदी और काजल की लगाएं.
- भगवान शंकर और माता पार्वती को चंदन, अक्षत, रोली, सिंदूर, धूप, दीप, फल, मिठाई अर्पित करें.
- एक थाल में चांदी का सिक्का, सुपारी, पान, दूध, दही, गंगाजल, हल्दी, कुमकुम, दूर्वा डालकर सुहाग जल तैयार करें.
- दोनों हाथों में ताजी दूब लेकर इस सुहाग जल को भगवान शिव और देवी गौरी पर छींटें लगाएं और फिर सुहागिनें अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के रूप में खुद पर जल छिड़कें.
- अब महिलाएं गौर-गौर गोमती ईसर पूजे पार्वती गीत गाकर शंकर पार्वती जी का स्मरण करें.
- चूरमे और गुने का भोग लगाएं. फिर गणगौर की कथा सुनें.
- माता पार्वती को जो सिंदूर चढ़ाया है अब स्त्रियां उसे मांग में भरें, मान्यता है इससे सुहाग की आयु लंबी होती है.
- गणगौर पूजा में जो प्रसाद चढ़ाएं उसे सिर्फ महिलाएं ही ग्रहण करें. अगले दिन इन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है.
गणगौर पूजा में गुनों का है विशेष महत्व
गणगौर की पूजा में देवी पार्वती को मैदा, बेसन या आटे से बने गहने अर्पित किए जाते हैं इसे गुने कहा जाता है. आटे में हल्दी मिलाकर ये गहने तैयार किए जाते हैं. कहते हैं कि जितने गहनों माता पार्वती को चढ़ाए जाते हैं धन, सुख और सौभाग्य में उतनी वृद्धि होती है. पूजा करने के बाद ये गुने व्रती अपनी सास, ननद और जेठानी को देती हैं और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है.
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