गण अर्थात् शिवजी और गौर यानि पार्वती जी हैं. गणगौर त्योहार प्रेम और विश्वास की पूजा है. यह व्रत लड़कियां भी प्रियवर पाने के लिए करती हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया, गुरुवार को गणगौर व्रत त्योहार मनाया जाएगा.
एक बार की बात है शिव और पार्वती भ्रमण के दौरान एक गांव में रुके. गांव की महिलाओं को पता चला तो वे थाली सजाकर उनकी पूजा करने पहुंच गईं. इससे प्रसन्न होकर पार्वती ने उन पर सारा सुहाग रस छिड़क दियां.


बाद में गांव की अच्छे परिवारों की महिलाएं सजधजकर और पूरी तैयारी से गणगौर की पूजा करने पहुंचीं. उन्होंने पूजा की तो शिवजी ने पार्वती से पूछा कि सारा सुहाग रस पहले आईं स्त्रियों पर छिड़क दिया. अब इन्हें क्या आशीर्वाद दोगी? इस पर पार्वती ने अपनी सबसे छोटी अंगुली से रक्त छिड़क कर उन्हें सुहाग का आशीर्वाद दिया. इस छिड़कने में जिस को जितना मिला उसे उतने लंबे सुहाग का वरदान प्राप्त हुआ.



गणगौर की पूजा में सुहागिनें सुहाग की सभी वस्तुओं को सजाकर विशेषतः महावर सिंदूर और चूढ़ी चढ़ाकर श्रद्धाभाव से गणगौर की पूजा करती हैं. यह त्यौहार मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में मनाया जाता है.


गणगौर की पूजा उदया तिथि के अनुसार गुरुवार 15 अप्रैल 2021 को मनाई जाएगी. चैत्र शुक्ल प़़क्ष तृतीया 14 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 46 मिनट से 15 अप्रैल को 3 बजकर 26 मिनट तक रहेगी.
गणगौर पूजा का प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता है. मां पार्वती पर चढ़ाए सिंदूर से बाद में सुहागिनें स्वयं मांग भरती हैं. एक दूसरे पर सुहाग जल छिड़कती हैं. पूजा में चूरमे का भोग लगाया जाता है.