Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, जोकि 18 महापुराणों में एक है. इसमें भगवान श्रीहरि विष्णु ने वैदिक ऋषि महर्षि कश्यम के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को जन्म, मृत्यु, स्वर्ग, नरक, कर्म और अगले जन्म में मिलने वाली योनियों के संबंध में उपदेश दिए हैं, जिसे गरुड़ पुराण में विस्तारपूर्वक बताया गया है.
गरुड़ पुराण में मुख्यत: चार विषय हैं. इन चार विषयों में पूर्वखंड, उत्तरखंड, नरक यात्रा और प्रेत यानि से बचने के उपायों के बारे में बताया गया है. पूर्वखंड में भगवान विष्णु ने भक्ति-उपासना के बारे में बताया है.
उत्तरखंड में 35 अध्याय है, जिसमें मृत्यु के बाद की अवस्था और स्थिति के बारे में बताया गया है. इसे प्रेतकल्प खंड भी कहा जाता है. इसके साथ ही गरुड़ पुराण में नरक यात्रा और प्रेत योनि से बचने के उपायों के बारे में भी बताया गया है, जिसे हम विस्तारपूर्वक जानेंगे.
क्या है नरक यात्रा
ग्रंथ-पुराणों में 84 लाख योनियों के बारे में बताया गया है, जिसमें मनुष्य योनि को सबसे श्रेष्ठ माना गया है. इसी तरह नरक में भी 84 लाख नरक होते हैं, जिसमें कर्म के अनुसार जीवात्मा को फल भोगना पड़ता है. गरुण पुराण में स्वर्ग और नरक के संबंध में विस्तारपूर्वक से एक-एक करके के कर्मो के आधार पर उसका वर्णन किया गया है. प्रेतकल्प या उत्तरखंड के अनुसार, कोई व्यक्ति अपने कर्मो के आधार पर प्रेत योनि को प्राप्त होता है.
प्रेत योनि से बचने के उपाय
गरुड़ पुराण में ऐसे सभी कामों को पाप माना गया जोकि धर्म के विरुद्ध किए गए हों. जब कोई व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने बुरे कर्मों के कारण प्रेत योनि को प्राप्त करता है तो उसे नरक में कई तरह के दंश और दुख झेलने पड़ते हैं. हालांकि गरुड़ पुराण में इससे बचने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिससे मृत्यु पश्चात प्रेत योनि से छुटकारा मिलता है. कई उपायों में सबसे महत्वपूर्ण हैं- दान दक्षिणा, अच्छे कर्म, धार्मिक कार्य, जप-तप, पिंडदान व श्राद्ध कार्य.
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