Garuda Purana, Lord Vishnu Niti in Hindi: हिंदू धर्म में पितरों को बहुत सम्मान दिया जाता है. इसलिए तो अमावस्या तिथि पर लोग पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और दान आदि करने का महत्व है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. पितरों के आशीर्वाद से परेशानियां दूर रहती है.


हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ गरुड़ पुराण में भी पितरों को लेकर कई बातें बताई गई हैं. इस ग्रंथ में मृत्यु और मृत्यु के बाद आत्मा के सफल का वर्णन किया गया है. यही कारण है कि, घर पर किसी परिजन की मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ कराया जाता है. मान्यता है कि गरुड़ पुराण के पाठ से आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है.



मृतक व्यक्ति के साथ आपका कितना भी लगाव क्यों न हो लेकिन, उसकी कुछ चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. गरुड़ पुराण ग्रंथ में मृतक की ऐसी तीन चीजों के बारे में बताया गया है, जिसे उसकी मृत्यु के बाद इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से पितृदोष लगता है. वहीं अगर आप मृतक के इन चीजों को इस्तेमाल करेंगे तो इससे जीवात्मा आकर्षित भी हो सकती है. जानते हैं क्या वो चीजें.


मृतक के इन चीजों का न करें उपयोग



  • कपड़े: मरे हुए व्यक्ति के कपड़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे जीवात्मा आप पर आकर्षित हो सकती है. मृतक के कपड़ों को उसकी मृत्यु के बाद दान कर देना चाहिए. इससे उसकी आत्मा को शांति मिलती है. गरुड़ पुराण के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को अपने कपड़ों से बहुत लगाव होता. वहीं मृत्यु के बाद आत्मा को सांसारिक मोह छोड़ने में कष्ट होता है. ऐसे में अगर आप मृतक के कपड़ों का इस्तेमाल करेंगे तो इससे आत्मा आकर्षित हो सकती है. साथ ही इससे पितृ दोष भी लगता है.

  • जेवर: कपड़ों की तरह ही किसी व्यक्ति को अपने गहनों से भी बहुत लगाव होता है. इसलिए मृतक के गहनों का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए. गरुड़ पुराण के अनुसार, मृतक के गहनों का इस्तेमाल करने से उसकी आत्मा का जुड़ाव आपसे हो सकता है. आप इन गहनों को फिर से नए गहने बनवाकर इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं अगर मृतक ने अपनी मृत्यु से पहले आपको भेंट स्वरूप अपने गहने दिए हों तो भी आप इनका इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन जिन गहनों से मृतक को अधिक लगाव हो, उन गहनों को पहनने की गलती न करें.

  • घड़ी: गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, कभी भी मृतक की घड़ी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. क्योंकि घड़ी में भी मृतक की ऊर्जा रहती है और इसे पहनने से पितृ दोष लगता है. इसलिए मृतक के घड़ी को दान कर देना ही उचित रहता है.


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