Garuda Purana: गरुड़ पुराण में बताए इन नियमों का करेंगे पालन, तो मिलेगा श्रेष्ठ संतान का सुख
Garuda Purana: ऐसे माता-पिता बहुत धनी होते हैं, जिनकी संतान गुणवान, यशस्वी और योग्य पैदा होती हैं. गरुड़ पुराण में ऐसे नियम व उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन गर्भधारण के समय करने से गुणवाण संतान होती है.
Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: हर दंपति संतान सुख की कामना करते हैं. क्योंकि माता-पिता बनने का सुख जीवन के सबसे श्रेष्ठ अनुभवों में है. हर माता-पिता यह चाहते हैं कि, उसकी संतान स्वस्थ होने के साथ ही गुणी भी हो, जो कुल का नाम रौशन करे.
कहा जाता है कि, संतान कैसे होगी यह पूरी तरह उसके माता-पिता पर निर्भर करता है. क्योंकि बच्चों में अच्छे-बुरे संस्कार अपने माता-पिता से ही आते हैं. लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसे नियम और उपायों के बारे में बताया गया है, जिनका पालन करने से संतान स्वस्थ तो जन्म लेती ही है. इसी के साथ ऐसी संतान गुणवान भी होती है.
आपको बता दें कि, गरुड़ पुराण जिसे हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना गया है. इसमें भगवान विष्णु द्वारा कुछ नियम और उपायों के बारे में बताया गया है, जिन्हें गर्भधारण के शुभ समय पर करना चाहिए. आइए जानते हैं इन नियम और उपाय के बारे में.
इन उपायों से श्रेष्ठ संतान का होता है जन्म
- गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति करने के लिए महिला को माहवारी के दिनों में कभी भी संबंध नही बनाने चाहिए. इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि, देवताओं द्वारा स्त्री को माहवारी का श्राप मिला था. इसलिए ऐसे समय में संबंध बनाना बहुत अशुभ माना जाता है.
- महिला को माहवारी के 5वें दिन स्नान करने के बाद पूर्णरूप से शुद्ध हो जाना चाहिए. इसके बाद ही स्त्री पुरुष को संबंध बनाना चाहिए.
- वहीं देवताओं और पितरों की पूजा स्त्री को माहवारी के 7 दिन बाद करनी चाहिए. यदि आप उत्तम चरित्र, गुणवान और श्रेष्ठ संतान की कामना करते हैं तो माहवारी के सातवें दिन के बाद ही गर्भाधारण की कोशिश करें.
पुत्र प्राप्ति के उपाय
- धार्मिक मान्यता है कि, गर्भधान यदि माहवारी के बाद सम दिनों में किया जाए तो इससे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है, वहीं विषम दिनों में किए गर्भधान से पुत्री की प्राप्ति होती है.
- गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, पुत्र प्राप्ति के लिए स्त्री के मासिक धर्म समाप्त होने के 8वें, 10वें, 12वें, 14वें और 16वें दिन यानी सम दिनों के संबंध बनाने से पुत्र प्राप्ति की संभावना अधिक रहती है. वहीं मासिक धर्म समाप्त होने के विषम दिन जैसे 9वें, 11वें, 13वें, 15वें और 17वें दिनों में मिलन होने से पुत्री प्राप्ति की संभावना अधिक रहती है.
- जब गर्भधारण की कोशिश करें तो इस दौरान स्त्री और पुरुष दोनों को मन प्रसन्न और शुद्ध होना चाहिए. क्योंकि गर्भधारण के समय स्त्री और पुरुष का चित्त जैसा रहेगा संतान का जन्म भी उसी चित्त जैसा होगा.
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