Garuda Purana: यमलोक में हैं ये चार द्वार, जानिए किस द्वार के होता है पापी आत्माओं का प्रवेश
Garuda Purana: मृत्यु के बाद आत्मा धरतीलोक छोड़ यमलोक पहुंचती है और यहां आत्माओं के प्रवेश के लिए चार द्वारा होते हैं. गरुड़ पुराण में इन चारों द्वार के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है.
Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: जन्म और जन्म के मृत्यु होना अटल सत्य है और इसे कोई नहीं बदल सकता है. गरुड़ पुराण ग्रंथ में जीवन,मृत्यु और मृत्यु के बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, मृत्यु के बाद धरतीलोक पर आत्मा का सफर पूरा हो जाता है और इसके बाद आत्मा अपने अगले सफर की ओर निकल पड़ती है.
जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो इसके बाद आत्मा को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है और इसके बाद यमलोक के लिए आत्मा की यात्रा शुरू हो जाती है. यमलोक की यात्रा के दौरान आत्मा को विभिन्न जगहों से गुजरना पड़ता है और इस यात्रा में आत्मा को जीवन में किए गए कर्मों के अनुसार ही सुखद या दुखद परिणाम भी झेलने पड़ते हैं. लेकिन केवल यमलोक मार्ग में ही नहीं बल्कि यमलोक पहुंचने के बाद भी आत्मा का प्रवेश उसके कर्मों के अनुसार होता है.
यमलोक में होते हैं 4 प्रवेश द्वार
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, यमलोक में प्रवेश के लिए एक नहीं बल्कि चार द्वार होते हैं. आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार ही किसी एक द्वार से प्रवेश मिलता है. ये द्वार अच्छे-बुरे कर्म करने वालों, साधु-साधकों आदि के लिए निर्धारित होते हैं. आइये जानते हैं कैसी आत्माओं का किन द्वार से होता है प्रवेश.
यमलोक के 4 मुख्य द्वार. जानें किस द्वार से किसका प्रवेश
- पूर्व द्वार: यमलोक के पूर्व द्वार को बहुत ही आकर्षक बताया गया है. इसमें हीरे, मोती, नीलम और पुखराज जैसे रत्न जड़े होते हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार, इस द्वार में प्रवेश करने के बाद आत्माओं का स्वागत गंधर्व, देव, अप्सराओं द्वारा किया जाता है. यही स्वर्ग का द्वार कहलाता है. मृत्यु के बाद इस द्वार से योगी, ऋषि, सिद्ध और संबुद्ध लोगों को प्रवेश मिलता है.
- पश्चिम द्वार: पश्चिम के द्वार में भी रत्न जड़े होते हैं. यमलोक के पश्चिम द्वार से ऐसे लोगों की आत्माओं का प्रवेश होता है, जो अपने जीवन में अच्छे कर्म जैसे दान-पुण्य करने वाले, धर्म का पालन करने वाले तीर्थस्थान पर प्राण त्यागने वाले आदि का प्रवेश इसी द्वार से होता है.
- उत्तर द्वार: यमलोक के उत्तर द्वार से उन आत्माओं का प्रवेश होता है, जो लोग अपने माता पिता की सेवा करते हैं, हमेशा सच बोलते हैं, अहिंसक कर्म करते हैं, जरूरतमंदों की मदद करते हैं और धर्म के मार्ग पर चलते हैं. ऐसे लोगों की आत्मा यमलोग पहुंचते ही उत्तर द्वार से प्रवेश करती है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, उत्तर द्वार भी भिन्न-भिन्न स्वर्णजड़ित रत्नों का होता है.
- दक्षिण द्वार: यमलोक का दक्षिण द्वार सबसे भयानक होता है. इस द्वार से पापी आत्माओं का प्रवेश होता है. भयानक सांप, सिंह और भेड़िये आदि की तरह भयानक जीव और राक्षस का प्रवेश इसी द्वार से होता है. जो लोग अपने जीवन में धर्म-कर्म और यम नियम का पालन नहीं करते, अन्याय करते हैं, उन्हें इस द्वार से गुजरना पड़ता है, जोकि अत्यंत कठिन और कष्टकारी होता है. इस द्वार से प्रवेश करने के बाद यहां आत्माओं को 100 वर्षों तक कष्ट भी झेलना पड़ता है. इसे ही नरक द्वार कहा गया है.
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