Garuda Purana, Lord Vishnu Niti: पति-पत्नी एक रथ के दो पहिए होते हैं. खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए यह बहुत जरूरी है कि पति-पत्नी में तालमेल बना रहे. यदि इनमें से किसी एक में अवगुण हुआ तो जीवन की गाड़ी बिल्कुल नहीं चल सकेगी. पति के जीवन में पत्नी को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. यही कारण है कि शास्त्रों में पत्नी को अर्धांगिनी यानी पति का आधा अंग कहा गया है, जिसके बिना पति अधूरा है.
गरुण पुराण के एक श्लोक में बताया गया है कि किन गुणों वाली पत्नी पुरुष के लिए भाग्यशाली साबित होती है. गरुड़ पुराण के श्लोक के अनुसार, 'सा भार्या या गृहे दक्षा सा भार्या या प्रियंवदा। सा भार्या या पतिप्राणा सा भार्या या पतिव्रता।।' गरुड़ पुराण के इस श्लोक में स्त्री के चार गुणों गृहे दक्षा, प्रियंवदा, पतिप्राणा और पतिव्रता के बारे में बताया गया है, जोकि हर स्त्री में अवश्य होने चाहिए. ऐसे गुण वाली पत्नी सुलक्षणा कहलाती है और जिस पुरुष को ऐसी पत्नी मिलती है वह पति भाग्यशाली होता है. जानते हैं इन गुणों के अर्थ के बारे में.
- गृह दक्षा- गृह दक्षा का मतलब होता है, ऐसी स्त्री जोकि गृह यानी घर के काम में दक्ष हो. जैसे भोजन पकाना, साफ-सफाई, घर को सजाना-संवारना, कपड़े-बर्तन, अतिथि-सत्कार, परिवार की जिम्मेदारी निभाना, सीमित संसाधनों में गृहस्थी चलाना आदि कामों में निपुण हो. ऐसी स्त्री पति के लिए तो भाग्यशाली होती ही है. साथ ही ऐसी स्त्री को अपने पति और परिवार से भी खूब प्रेम मिलता है.
- प्रियवंदा- प्रियंवदा का मतलब होता है, मधुर बोलने वाली. जो स्त्री पति से बात करते समय मधुर और संयमित भाषा का प्रयोग करे वह स्त्री अपने पति से खूब प्रेम पाती है.
- पतिप्राणा- पतिप्राणा को पतिपरायणा स्त्री भी कहा जाता है. ऐसी स्त्रियां पति द्वारा कही बातों का पालन करती हैं. यह कभी ऐसी बात नहीं करती, जिससे पति का मन दुखी हो. इसलिए ऐसी स्त्री पर उनके पति भी प्यार लुटाते हैं और सम्मान देते हैं.
- पतिव्रता- पतिव्रता स्त्री ऐसी स्त्री कहलाती है जोकि अपने पति के अलावा किसी पराए पुरुष के बारे में कभी मन में गलत विचार नहीं लाती. विवाह के बाद जो अपने तन-मन को केवल पति पर ही समर्पित कर दे, ऐसे गुणों वाली पत्नी को ही शास्त्रों में पतिव्रता कहा गया है. गरुड़ पुराण में भी कहा गया है कि, ऐसे पति बहुत भाग्यशाली होते हैं, जिनकी पत्नी केवल अपने पति से ही प्रेम करती है.
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