Garuda Purana: यमराज की नगरी में बहती है खून-मवाद वाली ये भयानक नदी, दृश्य इतना भयानक कि सुनकर कांप जाएगी रूह
Garuda Purana: मृत्यु के बाद आत्मा को यमलोक पहुंचने के लिए कठिन यात्रा तय करनी पड़ती है. गरुड़ पुराण में यमलोक में पड़ने वाली भयानक वैतरणी नदी के बारे में बताया गय है, जो खूब और मवाद से भरी होती है.
Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का ऐसा ग्रंथ है, जिसमें जन्म-मृत्यु के साथ ही मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे में भी विस्तारपूर्वक बतलाया गया है. भगवान विष्णु से जब उनके वाहन पक्षीराज गरुड़ जीवन, मृत्यु और मृत्यु के बाद की स्थिति के बारे में गूढ़ प्रश्न करते हैं तो श्रीहरि उन्हें इन्हीं गूढ़ प्रश्नों का उत्तर देते हैं.
गरुड़ के प्रश्न और श्रीहरि के उत्तर की इसी श्रृंखला को गरुड़ पुराण कहा गया है, जोकि हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में एक है. इसलिए घर पर जब किसी परिजन की मृत्यु होती है तो घर पर पूरे 13 दिनों के लिए गरुड़ पुराण का पाठ कराया जाता है. मान्यता है कि, इससे आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है.
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु द्वारा भयानक वैतरणी नदी के दृश्य का भी चित्रण मिलता है. यह नदी धरतीलोक पर नहीं बल्कि यमलोक में है, जिसे मृत्यु के बाद पापी आत्माओं को पार करना पड़ता है. यह नदी इतनी भयानक होती है कि, इसके बारे में जानकर आपकी रूह कांप जाएगी.
कैसी है वैतरणी नदी
गरुड़ पुराण के अनुसार, वैतरणी नदी एक लाख योजन श्रेत्र में फैली हुई है और इसके चार द्वार है. इस नदी को पार करना बहुत कष्टकारी होता है. धरती पर तो नदियों में स्वच्छ और निर्मल जल बहता है, लेकिन इस नदी में खून मवाद बहते हैं. इतना ही नहीं वैतरणी नदी में हड्डियों के ढ़ेर भी होते हैं. जो लोग अपने जीवन में बुरे कर्म करते हैं उन्हें यह नदी पार करनी पड़ती है. लेकिन जो लोग अच्छे कर्म करते हैं और जीवन में गाय का दान करते हैं, ऐसी आत्माएं इस नदी को आसानी पार कर लेते हैं.
पापी आत्माओं को देख गर्जना करती है वैतरणी नदी
गरुड़ पुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि, जब यमराज के यमदूत पापी आत्माओं को लेकर नदी के पास पहुंचते हैं तो नदी गर्जना करने लगती है और नदी में मौजूद खून गर्म होकर खौलने लगता है. इस नदी में हड्डियां, मवाद, मगरमच्छ, वज्र, गिद्ध आदि भी होते हैं, जिसे देख आत्मा डर जाती है.
गाय दान करने पर नदी पार करने के लिए मिलती है नाव
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, जो लोग या जिनके परिजन अपने जीवन में गाय का दान करते हैं, उन्हें इस नदी को पार करने के लिए नाव मिलती है. ऐसी आत्माएं नाव में बैठकर आसानी से इस भयानक नदी को पार कर लेती है और यमलोक पहुंच जाती है. इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में गौ दान की बात कही गई है.
ये भी पढ़ें: Rahu Ketu Gochar 2023: 30 अक्टूबर को साल का सबसे बड़ा राशि परिवर्तन, राहु-केतु के गोचर से इन राशियों को मिलेगी राहत
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.