Garuda Purana Lord vishni Niti in Hindi: हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण को महत्वपूर्ण ग्रंथ माना गया है. इसलिए इसे 18 महापुराणों में विशेष स्थान प्राप्त है.आमतौर पर गरुड़ पुराण का पाठ तब किया या कराया जाता है, जब घर पर किसी परिजन की मृत्यु हो जाती है.


गरुड़ पुराण के अधिकाष्ठा श्रीहरि विष्णु हैं. भगवान विष्णु ने अपने वाहन पक्षीराज गरुड़ को जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के संबंध में कई गूढ़ रहस्यों के बारे में बताया है. भगवान विष्णु और गरुड़ के बीच हुई वार्तालाप की इसी श्रृंखला को गरुड़ पुराण कहा जाता है.


गरुड़ पुराण में जन्म, मृत्यु, पाप-पुण्य, सद्गति, कर्म,स्वर्ग-नरक, पुनर्जन्म आदि के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है. साथ ही इसमें बतलाया गया है कि, आखिर क्यों किसी की मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ जरूरी होता है और आत्मा को इससे क्या लाभ मिलता है. आइये जानते हैं इसके बारे में.


आत्मा को कितने दिन बाद मिलता है नया शरीर


गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा तत्काल ही नया शरीर धारण कर लेती है. यानी आत्मा का दूसरा जन्म हो जाता है. लेकिन ऐसा सभी आत्माओं के साथ नहीं होता है. कुछ आत्माओं को दूसरा शरीर धारण करने में तीन तो किसी को 10-13 दिन भी लग जाते हैं. तो किसी का दूसरा जन्म सवा महीने बाद भी होता है. तो वहीं कुछ आत्माएं ऐसी भी होती हैं, जिन्हें प्रेत बनकर भटकना पड़ता है. दरअसल मृतक का दूसरा जन्म किस योनि में और कितने दिन बाद होगा, यह उसके कर्मों और परिजनों द्वारा किए कर्मकांड पर आधारित होता है.


घर पर परिजन की मृत्यु के बाद क्यों जरूरी है गरुड़ पुराण सुनना



  • ऐसी मान्यता है कि, मृत्यु के 13 दिनों तक आत्मा अपने घर पर ही रहती है और इस दौरान घर पर यदि गरुड़ पुराण का पाठ कराया जाए तो इसे आत्मा भी सुनती है, जिससे उसे स्वर्ग, नरक, अधोगति, दुर्गति और सद्गति आदि जैसी गतियों के बारे में पता चलता है.

  • मृत्यु के बाद आत्मा की आगे की यात्रा कैसी होगी और उसे किन मार्गों से गुजरना होगा. इस बारे में भी गरुड़ पुराण में बताया गया है.

  • गरुड़ पुराण में केवल मृत्यु के बाद ही नहीं बल्कि मृत्यु के पहले की स्थितियों के बारे में भी बताया गया है. इसलिए यह पुराण मृतक के परिवार वालों को भी ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए.

  • गरुड़ पुराण ऐसा ग्रंथ है, जो भक्ति, पुण्य कर्म व सत्कर्मों को करने के लिए प्रेरित करता है. इसे सुनने से और इसमें बताई गई बातों का आत्मसात करने से मृत्यु पश्चात मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है.


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