Garuda Purana: चाहे किसी भी लोक में हों पितृ तर्पण से मिलती है तृप्ति, गरुड़ पुराण में बताए गए हैं श्राद्ध के नियम
Garuda Purana: मृत्यु के बाद आत्मा शरीर का त्याग कर अन्य लोक चली जाती है. आत्मा चाहे किसी भी लोक में क्यों न हो, तर्पण से उन्हें तृप्ति मिलती है. लेकिन श्राद्ध का भोजन आखिर पितरों तक पहुंचता कैसे है?
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Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: गरुड़ पुराण (Garuda Purana) हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ है जोकि, अठारह महापुराणों में से एक है. गरुड़ पुराण भगवान विष्णु की पूजा, ज्ञान, नीति, धर्म और मृत्यु के बाद की घटनाओं पर केंद्रित है. गरुड़ पुराण का नाम गरुड़ के नाम पर रखा गया है. गरुड़ एक दिव्य पक्षी है जोकि, भगवान विष्णु का वाहक है.
गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद की स्थिति के बारे में प्रकाश डाला गया है. साथ ही इसमें पितरों के आत्मा की शांति के उपायों के बारे में भी बताया गया है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए हर साल पितृपक्ष में पितरों के निमित्त श्रादध, तर्पण आदि किए जाते हैं. वहीं इसके साथ ही किसी की मृत्यु के बाद 13 दिनों तक मृतक के निमित्त पिंडदान किया जाता है. गरुड़ पुराण में श्राद्ध करने के नियम और विधि के बारे में बताया गया है.
क्या है तर्पण के नियम
- तर्पण हमेशा जल में दूध और तिल मिलाकर करना चाहिए. तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर गायत्री मंत्र पढ़ना चाहिए. क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी जाती है.
- इसके बाद घुटने को जमीन पर लगाकर, जनेऊ, गमछा दाएं कंधे पर रखकर तर्पण करें. इस बात का ध्यान रखें कि तर्पण के लिए स्टील, लोहे या प्लास्टिक के पात्र का इस्तेमाल नहीं करें. आप चांदी, तांबे या पीतल के पात्र का प्रयोग कर सकते हैं.
- श्राद्ध में हमेशा सफेद रंग के फूलों का ही इस्तेमाल करें. श्राद्ध में बेलपत्र, मालती, चंपा, नागकेशर, कनेर, कचनार और लाल रंग के फूल का प्रयोग वर्जित होता है.
श्राद्ध भोजन के नियम
आप श्राद्ध का भोजन 5 जगह पर एक पत्ते में निकालें. इसमें पहला हिस्सा गाय के लिए, दूसरा हिस्सा कुत्ते के लिए, तीसरा हस्सा कौए के लिए, चौथा हिस्सा देवता के लिए और पांचवां हिस्सा चींटियों के लिए निकालें. श्राद्ध का भोजन हमेश प्रसन्न मन से कराना चाहिए और इस समय बिल्कुल मौन रहें. इसके बाद ब्राह्मणों के पैर छूकर आशीर्वाद लें और दक्षिणा देकर विदा करें.
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