Garuda Purana: मृत्यु के बाद कैसी होती है यमलोक की यात्रा, पापी आत्मा को मार्ग में भोगने पड़ते है कौन-कौन से कष्ट
Garuda Purana: गरुड़ पुराण में आत्मा की यमलोक यात्रा के बारे में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि मृत्यु के बाद जीवात्मा को उसके कर्मों के अनुसार ही स्वर्ग या नरक लोक की प्राप्ति होती है.
Garuda Purana, Lord Vishnu Niti: मृत्यु अटल सत्य है. संसार में जन्म लेने वाले हर प्राणी की मृत्यु निश्चित है. शास्त्रों में भी कहा गया है कि जो इस दुनिया में जन्म लेकर आया है उसे एक न एक दिन इस संसार को छोड़कर जाना पड़ेगा.
गीता में मृत्यु के बारे में कहा गया है कि आत्मा का कोई विनाश नहीं कर सकता है. आत्मा अजर और अमर है. इसे ना ही आग जला सकती है, ना पानी भिगा सकती है और न हवा सुखा सकती है.
अब ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि, तब मृत्यु के बाद मृतक की आत्मा का क्या होता है. इस प्रश्न का सटीक उत्तर आपको वैष्णव संप्रदाय से संबंधित ग्रंथ और 18 महापुराणों में एक गरुड़ पुराण में मिलेगा. गरुड़ पुराण के 271 अध्याय में 16 अध्याय ऐसे हैं, जोकि मृत्यु, मृत्यु के बाद यमलोक की यात्रा, स्वर्ग और नरक आदि पर आधारित है.
भगवान विष्णु ने गरुड़ पुराण में अपने वाहन पक्षीराज गरुड़ को जन्म-मृत्यु के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसके अनुसार मृत्यु के बाद जीवात्मा को नरक का कष्ट भोगना पड़ेगा या स्वर्ग की प्राप्ति होगी यह व्यक्ति द्वारा जीवन में किए गए कर्मों पर आधारित होता है.
मृत्यु के बाद होता है पाप-पुण्य का हिसाब-किताब
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद जीवात्मा को विभिन्न मार्गों से होकर गुजरना पड़ता है, जहां उसके पाप-पुण्य का हिसाब-किताब होता है. इसके बाद ही आत्मा आगे का सफर तय करती है. इसमें यह भी बताया गया है कि मृत्यु के कुछ समय पहले व्यक्ति की आवाज बंद हो जाती है, शरीर की सभी इंद्रिया काम करना बंद कर देती है और व्यक्ति को जीवन के आखिरी क्षण में परमात्मा द्वारा दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है. इसके बाद ही आत्मा शरीर का त्याग करती है. फिर यमराज के दो यमदूत आते हैं और आत्मा को यमलोक ले जाते हैं. मार्ग में यमदूत आत्मा के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा जीवात्मा ने अपने जीवन में दूसरों के साथ किया होगा.
मृत्यु के बाद तीन मार्गों से गुजरती है जीवात्मा
गरुड़ पुराण ग्रंथ में यह भी बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को तीन मार्गों से गुजरना पड़ता है. इसमें पहला अर्चि मार्ग, दूसरा धूम मार्ग और तीसरा उत्पत्ति विनाश मार्ग होता है. इसमें पहला मार्ग में देव लोक और ब्रह्मा लोक के लिए होता है जोकि सर्वोच्च होता है. इसमें मरने के बाद ऐसे लोग जाते हैं जिन्होंने अपने जीवन में केवल अच्छे कर्म ही किए हों और पापों से दूर रहा हो. धूम मार्ग की यात्रा को पितृलोक की यात्रा कहा जाता है. वहीं तीसरे मार्ग की उत्पत्ति बहुत ही विनाशकारी मार्ग होती है. यह नरक की यात्रा होती है और इसमें जीवात्मा को बहुत कष्ट झेलने पड़ते हैं.
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