Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: पितृ पक्ष शुरू होने वाले हैं. हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर अश्विन अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष चलते हैं. इन 16 दिनों में पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है.


हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पुराण गरुड़ पुराण में जीवन जीने के जरूरी नियम, कर्म, मृत्यु और मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि, मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए क्या-क्या करना चाहिए.



गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद का कर्म है तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध. हिंदू धर्म शास्त्र में कहा गया है, जो परिजन पृथ्वीलोक को छोड़कर जा चुके हैं उनकी आत्मा की शांति और पितरों का ऋण उतारने के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि, पितृ पक्ष के समय पितृ धरतीलोक पर आते हैं और अर्पित की गई चीजों को वे ग्रहण भी करते हैं और प्रसन्न होकर आशीर्वाद भी देते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में पितरों के लिए भोजन निकाला जाता है.


पितरों तक कैसे पहुंचता है श्राद्ध का भोजन


माना जाता है कि, श्राद्ध कर्म में जो भोजन निकाले जाते हैं उसे पितर ग्रहण करते हैं. लेकिन सवाल यह है कि, यह भोजन उन तक पहुंचता कैसे है? गरुड़ पुराण में इस संबंध में बताया गया है कि, विश्वदेव और अग्निश्रवा नाम के दो दिव्य पितृ होते हैं. ये दोनों ही नाम गोत्र के सहारे अर्पित किए भोजन को पितरों तक पहुंचाते हैं. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, अगर हमारे पितर देव योनि में होंगे तो श्राद्ध का भोजन अमृत रूप में उन तक पहुंचेगा और अगर वे मनुष्य योनि में होंगे तो भोजन के अन्न रूप में प्राप्त होगा. वहीं पितर के पशु योनि में होने से भोजन घास के रूप में, नाग योनि में होने से वायु रूप में और यक्ष योनि में होने से पान के रूप में भोजन उन तक पहुंचता है.


पितृ पक्ष में कैसे निकाला जाता है पितरों के लिए भोजन


पितृ पक्ष में आप श्राद्ध कर्म करते हुए ब्राह्मण या जिसे श्राद्ध का भोजन कराने वाले हैं उससे पहले 5 पत्तों पर भोजन निकाला जाता है. इसमें पहला हिस्सा गाय के लिए, दूसरा हिस्सा कुत्ते के लिए, तीसरा हिस्सा चींटी के लिए, चौथा कौआ के लिए और पांचवा हिस्सा देवता के लिए होता है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि, पितृ पक्ष में पितृ इन्हीं रूपों में धरती पर आते हैं और भोजन करते हैं.


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