Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का ऐसा ग्रंथ है, जिसमें जीवन, मृत्यु और मृत्यु के बाद के रहस्यों के बारे में बताया गया है. इसलिए किसी की मृत्यु के बाद घर पर इसका पाठ पूरे 13 दिनों कराना अनिवार्य माना गया है. मान्यता है कि, इससे मृतक को सद्गति की प्राप्ति होती है.


गरुड़ पुराण में पिंडदान के महत्व के बारे में बताया गया है. अंतिम संस्कार के बाद 13 दिनों तक होने वाले विभिन्न कर्मकांडों में पिंडदान को भी जरूरी माना गया है. कहा जाता है कि, मृतक के निमित्त पिंडदान करना आत्मा के अंतिम सफर में उसके भूख मिटाने का माध्यम होता है.



पिंडदान का महत्व


गरुड़ पुराण के अनुसार, किसी की मृत्यु के बाद मृतक के परिजन उसका पिंडदान करते हैं. मृत्यु से लेकर 10 दिनों तक पिंडदान किया जाता है. माना जाता है कि, पिंडदान करने से आत्मा के अंतिम सफर में उसे इससे शक्ति मिलती है. यदि आत्मा ने अपने जीवनकाल में अच्छे कर्म किए होते हैं, तो उसे पिंडदान का पूर्ण फल प्राप्त होता है और वह संसार का मोह त्यागकर अच्छे से अपने अगले सफर की ओर निकल पड़ती है.


लेकिन यदि मृतक ने अपने जीवनकाल में बुरे कर्म किए होंगे तो उसे किए गए पिंडदान का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा. यमदूत आत्मा को पिंड नहीं देते हैं. इससे आत्मा को अनेक कष्टों के साथ अपने सफर में आगे बढ़ना पड़ता है. इस यात्रा की दूरी 86 हजार योजन होती है, जिसे पूरा करने में 47 दिनों का समय लग जाता है. बात की जाए आत्मा के अगले जन्म की तो, कहा जाता है कि, आत्मा को दूसरा जन्म लेने में मृत्यु के तीन दिन से लेकर 40 दिन का समय लग जाता है.


कौन कर सकता है पिंडदान


गरुड़ पुराण में बताया गया है कि, मृतक का पिंडदान उसके पुत्र द्वारा ही किया जाना चाहिए. यदि पुत्र न हो तो मृतक के भाई या परिवार के अन्य लोग भी पिंडदना कर सकते हैं. अगर कोई भी उत्तराधिकारी न हो तो प्रपौत्र द्वारा पिंडदान किया जा सकता है. बता दें कि, पिंडदान केवल पिता के लिए नहीं बल्कि परिवार व वंश के सभी मृत परिजन और पूर्वजों के लिए किया जाता है.


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