(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Garuda Purana: मृत्यु के बाद अगर नहीं करेंगे ये काम तो भटकती रहेगी मृतक की आत्मा, जानें
Garuda Purana: घर-परिवार में किसी की मृत्यु के बाद पूरे नियमों के साथ मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है. अगर इन नियमों का पालन न किया जाए तो मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिलती और वह भटकती रहती है.
Garuda Purana Lord Vishnu Niti: मृत्यु के बाद का समय कैसा होगा इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है. लेकिन हिंदू धर्म में एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें न केवल मृत्यु बल्कि मृत्यु के बाद की घटनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है.
गरुड़ पुराण को हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में एक माना गया है. यह वैष्णव संप्रदाय से संबंधित महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसके अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा दूसरे शरीर को धारण कर लेती है. आत्मा का दूसरे शरीर को धारण करने का समय 3 दिन, 10 दिन, 13 दिन, सवा महीने या एक साल भी हो सकता है. लेकिन जो आत्माएं नए शरीर को धारण नहीं कर पाती हैं वह पितृलोक या स्वर्गलोक में चली जाती है.
लेकिन कुछ आत्माएं ऐसी भी होती हैं जिनका अंतिम संस्कार नियमों के अनुसार नहीं किया जाता है और ऐसी आत्माएं को न ही पितृलोक में स्थान मिलता है और न ही स्वर्गलोक में. ऐसे में ये आत्माएं भटकती रहती है. इसलिए घर-परिवार में किसी की मृत्यु के बाद नियमों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाना जरूरी होता है, जिससे कि आत्मा को सद्गति प्राप्त हो.
गरुड़ पुराण में ऐसे कामों के बारे में बताया गया है, जिसे किसी कि मृत्यु के बाद जरूर करना चाहिए. इन कामों को नहीं करने पर आत्मा को कभी शांति नहीं मिलेगी. इसलिए मृत्यु के बाद मृतक के परिजनों को ये काम जरूर करना चाहिए।
इन 4 कामों के बिना नहीं मिलती आत्मा को शांति
- मृतक को चिता पर लिटाने के बाद उसका संतान या परिवार का कोई मटके में पानी भरकर शव की परिक्रमा करता है. इस मटके में एक छेद करना चाहिए और परिक्रमा समाप्त हो जाने के बाद मटके को फोड़ देना चाहिए. इस नियम को करने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इससे मृतक का अपने परिवार से मोह खत्म होता है और उसे धरतीलोक को छोड़कर जाने में आसानी होती है.
- स्त्री या पुरुष किसी की भी मृत्यु हो जाए तो उसके अंतिम संस्कार से पहले उसे स्नान जरूर कराना चाहिए. स्नान के बाद उसके पूरे शरीर पर चंदन, घी या तेल लगाकर उसे साफ या नए कपड़े पहनाने चाहिए चाहिए. इस विधि से मृतक का अंतिम संस्कार करने पर आत्मा आसानी से अपने शरीर का त्याग करती है.
- मृतक का अंतिम संस्कार हो जाने के बाद वहां रखी लकड़ी या कंडे के टुकड़े को चिता में डालने के बाद कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए. ऐसा करने से आत्मा को यह लगता है कि उसके परिजनों का उससे मोह खत्म हो गया है और वह शरीर का त्यागकर शीघ्र अगले सफर की ओर चली जाती है.
- अगर किसी की मृत्यु सूर्यास्त के बाद हुई हो तो उसके दाह संस्कार के लिए सूर्योदय होने तक का इंतजार करना चाहिए. गरुड़ पुराण के अनुसार, सूर्यास्त के बाद शव को जलाना या दफनाना नहीं चाहिए. इसलिए सूर्यास्त के बाद किसी की मृत्यु हो जाए तो शव को घर पर ही रखने का विधान है और अगले दिन उसका दाह संस्कार किया जाना चाहिए. इसके पीछे यह मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद किए गए दाह संस्कार से आत्मा को शांति नहीं मिलती है और वह भटकती रहती है.
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