Garuda Purana: 18 पुराणों में क्यों श्रेष्ठ है गरुड़ पुराण, इसके पाठ से कैसे मिलती है आत्मा को शांति, जानिए
Garuda Purana: गरुड़ पुराण 18 पुराणों में 17वां पुराण है, जिसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है. गरुड़ पुराण में ऐसा उल्लेख है कि, इसके पाठ से आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: हिंदू धर्म में कुल 18 महापुराणों का उल्लेख मिलता है. सभी पुराणों का अपना-अपना विशेष महत्व है. लेकिन सभी पुराणों में गरुड़ पुराण को श्रेष्ठ माना गया है, जिसके अधिकाष्ठा भगवान श्रीहरि विष्णु हैं.
सभी पुराणों में क्यों श्रेष्ठ है गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण अन्य 18 पुराणों में 17वां पुराण है. इसमें अन्य सभी पुराणों का सार वर्णित है. यही कारण है कि, इसे अन्य 17 पुराणों की अपेक्षा अधिक महत्व दिया गया है और श्रेष्ठ माना गया है. बता दें कि, गरुड़ पुराण की रचना महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी ने की है. इसमें कुल 19 हजार श्लोक हैं. गरुड़ पुराण में विशेषरूप से भगवान विष्णु और पक्षीराज गरुड़ के बीच जीवन-मरण और पुनर्जन्म को लेकर हुई वार्ता का वर्णन किया गया है.
गरुड़ पुराण में जन्म के साथ ही मृत्यु और मृत्यु के बाद की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है. इसके अनुसार, जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो मृतक की आत्मा पूरे 13 दिनों तक घर पर ही रहती है. इसलिए 13 दिनों तक गरुड़ पुराण का पाठ घर पर रखा जाता है, जिससे कि मृतक की आत्मा को शांति व मोक्ष प्राप्त हो.
गरुड़ पुराण के पाठ से कैसे मिलती है आत्मा को शांति
गरुड़ पुराण में लिखा है कि, इसका पाठ करने से आत्मा को शांति मिलती है. दरअसल गरुड़ पुराण के अनुसार मृतक की आत्मा 13 दिनों तक अपने घर पर ही होती है. ऐसे में इस दौरान गरुड़ पुराण का पाठ कराने से मृतक को गति, दुर्गति आदि के बारे में पता चलता है. साथ ही इस पुराण से यह पता लगता है कि, आत्मा का गमन किस लोक में होगा और आगे के लिए उसका रास्ता कैसा होगा.
गरुड़ पुराण में सभी तरह के नरक और स्वर्ग के बारे में बताया गया है. इसलिए जब मृतक की आत्मा इसे सुनती है तो, उसे मुक्ति के मार्ग का पता चलता है. ऐसे में आत्मा को प्रेत योनि में भटकना नहीं पड़ता है. साथ ही इसका पाठ सुनकर मृतक की आत्मा को जहां शांति मिलती है, वहीं परिजन भी इससे अवगत होकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं.
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