Garuda Purana Lord Vishnu Niti in Hindi: गरुड़ पुराण को हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना गया है. जोकि 18 महापुराणों में एक है. गरुड़ पुराण में कुल 271 अध्याय और 18 हजार श्लोक हैं. यह हिंदू धर्म और वैष्णव संप्रदाय से संबंधित ऐसा ग्रंथ है जिसमें व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु और मृत्यु के बाद की घटनाओं का वर्णन विस्तार पूर्वक स्वयं नारायण द्वारा किया गया है.


गरुड़ पुराण में स्वर्ग और नरक के बारे में उल्लेख मिलता है. गरुड़ पुराण का उद्देश्य धर्म के मार्ग पर चलने और अच्छे कर्म करने के लिए लोगों को प्रेरित करना है. इसलिए गरुड़ पुराण में बताई बातों का जो व्यक्ति अनुसरण करता है उसका जीवन सफल होता है और ऐसे लोगों को मरणोपरांत श्रीहरि विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है.



गरुड़ पुराण में व्यक्ति द्वारा किए गए कर्मों के बारे में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि अच्छे कर्म करने वाले मृत्यु के बाद सद्गति को प्राप्त होते हैं. वहीं बुरे कर्म करने वालों को नरक में स्थान प्राप्त होता है. लेकिन इसमें कुछ ऐसे कामों के बारे में बताया गया है जिसे महापाप की श्रेणी में रखा गया है. इन कामों को करने वाले लोगों की आत्मा को मरणोपरांत नरक में स्थान तो मिलता ही है और साथ ही कई तरह की यातनाएं भोगनी पड़ती है.


कभी न करें ये 5 काम



  • गरुड़ पुराण के अनुसार, भ्रूण, नवजात और गर्भवती स्त्रियों की हत्या करना या कराने को महापाप माना गया है. ऐसे व्यक्ति को मरने के बाद नरक भेजा जाता है और यहां उसे कई तरह की यातनाएं भोगनी पड़ती है.

  • ऐसे लोग जो स्त्री का अपमान करते हैं, उसे प्रताड़ित करते हैं, उसके साथ गलत कार्य करते हैं या फिर उसका उपहास बनाते हैं. वो मरने के बाद दुर्गति को प्राप्त होते हैं और इन्हें नर्क में कठोर दंड भी भोगना पड़ता.

  •  मित्र या किसी पराई स्त्री पर बुरी दृष्टि रखने वालो, उसका शोषण करने वाले, गलत बर्ताव करने वाले लोगों को भी महापापी माना गया है. ऐसे लोगों को भी मृत्यु के बाद कठोर दंड दिया जाता है.

  • जो लोग मंदिर, धर्म ग्रंथों और पूजा-पाठ के नियमों का मजाक उड़ाते हैं, वह भी महापापी कहलाते हैं.  ऐसे लोगों का जीवन बर्बाद हो जाता है और मृत्यु के बाद भी इन्हें कई तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं.

  • बूढ़े, बुजुर्ग, असहाय, कमजोर और जरूरतमंदों को सताने वाले, उनका शोषण करने वालों से ईश्वर कभी प्रसन्न नहीं होते. फिर चाहे ये लोग कितने भी दान-पुण्य या पूजा-व्रत क्यों न कर लें. ऐसे लोगों को मरने के बाद अपने पुण्य कर्मों का हिसाब चुकाना पड़ता है.


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