Geeta Ka Gyan: श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया के सभी श्रेष्ठ ग्रंथों में से एक है. यह न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, बल्कि कही और सुनी भी जाती है. जीवन के हर पहलू की व्याख्ता गीता से जोड़कर की जा सकती है. सनातन संस्कृति में श्रीमद्भगवद्गीता को पूजनीय और अनुकरणीय माना गया है. इस ग्रंथ में 18 अध्याय और लगभग 720 श्लोक हैं जिसमें भगवान कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है. गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि कुछ लोगों को पापों से जल्द मुक्ति मिल जाती है.


गीता के अनमोल वितार




    • गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि हर व्यक्ति को अभ्यास और वैराग्य से अपने मन को वश में करने का प्रयास करना चाहिए. जो व्यक्ति इन्द्रियों को विषयों से हटाकर परमात्मा में लगाने का अभ्यास करता है उसे इसी जन्म में समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है. ऐसा व्यक्ति परमगति को प्राप्त करता है.





  • गीता में लिखा है कि प्रत्येक व्यक्ति का जो अपना कर्म है, उसी में उसका अधिकार है अर्थात वह उसे ही करने का अधिकारी है. व्यक्ति को अपने परिवार और समाज के प्रति अपने नियत कर्तव्य को निष्ठा से निभाना चाहिए.

  • छोटा हो या बड़ा अपना कर्म प्रत्येक व्यक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण होना चाहिए. पूरी निष्ठा से किया गया छोटा कर्म भी बड़े के समान ही होता है. इसलिए किसी भी काम को पूरे मन से करना चाहिए.

  • जो व्यक्ति अपने स्वकर्म से संतुष्ट होता है वो प्रसन्न, शांत और समता की स्थिति में रहता है. ऐसा व्यक्ति अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को सुव्यवस्थित रखता है. वहीं व्यक्ति जब अपनी कर्मनिष्ठा को उपेक्षित कर फल की कामना से प्रेरित होकर कर्म करने लगता है, तब यह सारी स्थितियां पलट जाती हैं.


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