Geeta Ka Gyan: श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया के सभी श्रेष्ठ ग्रंथों में से एक है. यह न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, बल्कि कही और सुनी भी जाती है. जीवन के हर पहलू की व्याख्ता गीता से जोड़कर की जा सकती है. सनातन संस्कृति में श्रीमद्भगवद्गीता को पूजनीय और अनुकरणीय माना गया है. 


इस ग्रंथ में 18 अध्याय और लगभग 720 श्लोक हैं जिसमें भगवान कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है. गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि कुछ लोग किसी के लिए भी शोक नहीं करते हैं. जानते हैं इनके बारे में.


गीता के अनमोल विचार



  • गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, तुम ज्ञानियों की तरह बात करते हो, लेकिन जिनके लिए शोक नहीं करना चाहिए, उनके लिए शोक करते हो. मृत या जीवित, ज्ञानी लोग कभी किसी के लिए शोक नहीं करते हैं.

  • गीता में लिखा है कि यह बड़े ही शोक की बात है कि राज्य और सुख के लोभ की वजह से लोग अपने स्वजनों का नाश करने को तैयार हैं. ऐसे लोग बड़ा भारी पाप करने का निश्चय कर बैठते हैं.  

  • श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन श्रेष्ठ मनुष्य विषम परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारते हैं. कठिन समय में कायरता दिखाना उनके आचरण के विपरीत है. ना तो ये स्वर्ग प्राप्ति का साधन है और ना ही इससे कीर्ति प्राप्त होती है.

  • जैसे इस जन्म में जीवात्मा बाल, युवा और वृद्ध शरीर को प्राप्त करती है. वैसे ही जीवात्मा मरने के बाद भी नया शरीर प्राप्त करती है. इसलिए वीर पुरुष को मृत्यु से घबराना नहीं चाहिए.

  • गीता में लिखा है कि न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो. यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से मिलकर बना है और इसी में मिल जायेगा. परन्तु आत्मा स्थिर है – फिर तुम क्या हो?

  • आत्मा अजर-अमर है. जो लोग इस आत्मा को मारने वाला या मरने वाला मानते हैं, वे दोनों ही नासमझ हैं आत्मा ना किसी को मारता है और ना ही किसी के द्वारा मारा जा सकता है. आत्मा ना कभी जन्म लेती है और ना मरती ही है. शरीर का नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता है.

  • तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो. यही सबसे उत्तम सहारा है जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त रहता है.

  • गीता में लिखा है जैसे मनुष्य अपने पुराने वस्त्रों को उतारकर दूसरे नए वस्त्र धारण करता है, वैसे ही जीव मृत्यु के बाद अपने पुराने शरीर को त्यागकर नया शरीर प्राप्त करता है.


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