Geeta Gyan: वासना, क्रोध और लालच ये तीन हैं नरक के द्वार, जानें गीता के उपदेश
Geeta Gyan Today: श्रीमद्भगवद्गीता एक संवाद है एक मित्र का दूसरे मित्र से. गीता की बातों को अपनाने से व्यक्ति को खूब तरक्की मिलती है. गीता में श्रीकृष्ण ने तीन चीजों को आत्म-विनाशकारी बताया है.
Geeta Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थों में से एक है जो जीने का सही ढंग बताती है. गीता जीवन में धर्म, कर्म और प्रेम का पाठ पढ़ाती है. श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान मानव जीवन और जीवन के बाद के जीवन दोनों के लिए उपयोगी माना गया है.
गीता संपूर्ण जीवन दर्शन है और इसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति सर्वश्रेष्ठ होता है. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है जो उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिए थे. गीता की बातों को जीवन में अपनाने से व्यक्ति को खूब तरक्की मिलती है. गीता में श्रीकृष्ण ने तीन चीजों को आत्म-विनाशकारी बताया है.
खुद का विनाश कर देती हैं ये चीजें
- गीता में तीन चीजों को आत्म-विनाशकारी बताया गया है. श्रीकृष्ण कहते हैं कि वासना, क्रोध और लालच नरक के तीन द्वार माने गए हैं. ये तीनों चीजें आत्म-विनाशकारी हैं. यह अच्छे से अच्छे मनुष्य का भी सर्वनाश कर देती हैं.
- गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए. अहंकार मनुष्य से वह सब करवाता है जो उसके लिए सही नहीं है. अंत में यह अंहकार ही उसके विनाश का कारण बनता है. इसलिए जीवन में जितना जल्दी हो सके अपना अहंकार त्याग दें .
- परिवर्तन ही संसार का नियम है. श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा. तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो? तुम क्या लाये थे जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया. तुमने जो लिया यहीं से लिया, जो दिया, यहीं पर दिया. जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था. परसों किसी और का हो जायेगा.
- गीता के अनुसार, मनुष्य को अपने दिमाग पर पूरा नियंत्रण रखना चाहिए. यदि हम इसे नियंत्रित नहीं करते हैं तो हमारा अपना दिमाग एक दुश्मन की तरह काम करता है.
- श्रीकृष्ण कहते हैं, न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम इस शरीर के हो. यह शरीर अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश से बना है और अंत में इसी में मिल जायेगा परन्तु आत्मा स्थिर है, फिर तुम क्या हो? भगवान कहते हैं कि हे मनुष्य! तुम अपने आपको भगवान को अर्पित कर दो. यह सबसे उत्तम सहारा है. जो इसके सहारे को जानता है, वह भय, चिन्ता और शोक से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है.
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