(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Geeta Gyan: भावनाओं को कब काबू में कर लेना चाहिए, जानें गीता के अनमोल विचार
Geeta Updesh: गीता एक जीवन दर्शन है जो व्यक्ति को सही-गलत में फर्क बताती है और जीने की सही राह दिखाती है. श्रीकृष्ण ने कहा है कि व्यक्ति को कब अपनी भावनाओं पर काबू करना चाहिए.
Geeta Ka Gyan: श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उन उपदेशों का वर्णन है जो उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिए थे. गीता सबसे प्रभावशाली ग्रंथ है. भगवद-गीता को भगवान का गीत भी कहा जाता है. गीता के अनमोल वचन मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं.
गीता जीवन में धर्म, कर्म और प्रेम का पाठ पढ़ाती है. गीता संपूर्ण जीवन दर्शन है और इसका अनुसरण करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता है. गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि व्यक्ति को किस स्थिति में अपनी भावनाओं को काबू में कर लेना चाहिए.
श्रीकृष्ण के अनमोल वचन
- गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि जहां दूसरों को समझना कठिन हो जाए वहां स्वयं के मन को समझाकर भावनाओं को अपने मन तक ही सीमित कर लेना बुद्धिमानी है.
- श्रीकृष्ण के अनुसार सही समय की प्रतीक्षा करना स्वयं को मूर्ख बनाने की तरह है. सही समय तभी आता है जब आप उसे सही बनाने के लिए प्रयत्न करते हैं. इसलिए हाथ पर हाथ रखकर बैठने की बजाए उठकर अपना कर्म करें.
- गीता में लिखा है कि केवल डरपोक और कमजोर लोग ही चीजों को भाग्य पर छोड़ते हैं. वहीं जो मजबूत इरादों और खुद पर भरोसा करने वाले होते हैं वे कभी भी नियति या भाग्य पर निर्भर नही रहते. ऐसे लोग अपनी मेहनत से सबकुछ हासिल कर लेते हैं.
- गीता के अनुसार किसी भी व्यक्ति को सिर्फ दिखावे के लिये अच्छा नहीं बनना चाहिए. ईश्वर आपको बाहर से नहीं बल्कि भीतर से भी जानता है और उसके आगे दिखावा करना बेकार है.
- श्रीकृष्ण का कहना है कि मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है क्योंकि वही लोग उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं. इसलिए मुश्किल आने पर कभी भी घबराना नहीं चाहिए.
- जो सरलता से मिलता रहे उसका महत्व नही रह जाता अक्सर खो देने के बाद समय, व्यक्ति और संबंध के मूल्य का आभास होता है.
- श्रीकृष्ण कहते हैं शरीर नश्वर हैं पर आत्मा अमर है. यह तथ्य जानने पर भी व्यक्ति अपने इस नश्वर शरीर पर घमंड करता है जो कि बेकार है. शरीर पर घमंड करने की बजाय मनुष्य को सत्य स्वीकार करना चाहिए.
- आप खुश हैं या दुखी, यह दोनों आपके विचारों पर निर्भर है. अगर आप प्रसन्न रहना चाहते हैं तो आप हर हाल में प्रसन्न ही रहेंगे. अगर आप नकारात्मक विचार लाते हैं, तो आप दुखी ही होंगे. विचार ही हर व्यक्ति का शत्रु और मित्र होता है.
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