Gem Astrology : राशि रत्नों का व्यक्ति के जीवन और किस्मत पर बहुत प्रभाव होता है. ज्योतिषशास्त्र में नीलम रत्न का विशेष महत्व बताया गया है. शनि का रत्न निर्मल नीलम है. नीलम को संस्कृत में नीलाश्म, नीलम रत्न, नीलमणि, शनि रत्न, शनिप्रिय और इन्द्रनील आदि के नाम से भी जाना जाता है. यह नीले रंग की कांति वाला पारदर्शी चमकीला रत्न है. कई बार यह कृष्ण वर्ण की कांति वाला भी होता है. इसमें आकर्षण की विलक्षण शक्ति छिपी होती है. नीलम रत्न धारण करने से शनि की स्थिति मजबूत होती है. यह अत्यधिक प्रभावशाली होता है. भाग्य को अचानक बदलने में शनि सकारात्मक और नकारात्मक दोनो ही पहलू में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. यह फकीर को करोड़पति और करोड़पति को फकीर बनाने में अधिक समय नहीं लगाते हैं. इसलिए इस रत्न को बहुत सोच-समझकर धारण करना चाहिए. आइए जानते हैं नीलम को धारण करने के शुभ और अशुभ फल -
   

  
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर व कुंभ राशि वालों के लिए नीलम जीवन रत्न का काम करता है. इसी प्रकार मकर और कुम्भ लग्न वालों के लिए दीर्घायु प्रदान करने वाला रत्न कहा गया है.



  • वृष लग्न और तुला लग्न वालों के लिए नीलम परम योगकारक रत्न है. जो उनके भाग्य के द्वार को खोलने में अहम भूमिका निभाता है.

  • कर्क और सिंह लग्न वालों के लिए शनि विवाह सुख प्रदाता होता है, इसलिए उन लोगों को नीलम धारण करना अति शुभकारी होता है.

  • न्यूमरोलॉजी में अंक 8 के स्वामी ग्रह शनि है. इसलिए इन लोगों के लिए नीलम उन्नति प्रदाता होता है. जिन लोगों को नीलम सूट करता है उन लोगों को कर्मक्षेत्र में मनचाही सफलता मिलती है. ऐसा व्यक्ति दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है. वंश वृद्धि होती है. मान-सम्मान में वृद्धि होती है. सेहत अच्छी होती है. मुकदमे आदि के निपटारे आसानी से होने लगते हैं और स्वास्थ्य बेहतर होता है.

  • नीलम रत्न पहनने में सावधानी बरतनी चाहिए, यदि यह आपके लिए उपयोगी न होतो यह परेशानी में ले आता है. मन अशांत रहता है. जिसके कारण झगड़े, दुश्मनी और वाद विवाद इत्यादि में बढ़ोत्तरी होती है. आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है और यह इस कदर बढ़ती जाती है कि व्यक्ति बर्बादी की कगार पर आ जाता है. धन का व्यय घर में  बीमारियों में खर्च होता है. हर काम में रुकावटें आने लगती हैं और काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं.

  • नीलम को मिश्र धातु या पंचधातु में लगा नीलम शुभ फल देने वाला होता है. इससे शनिदेव हर्षित और प्रफुल्लित रहते हैं.

  • नीलम को हमेशा मध्यमा उंगली में पहनना चाहिए.

  • कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार ही नीलम को पहनने की सलाह दी जाती है. यदि शनि दुर्बल है या नीच भाव में है. व्यक्ति साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की दशा से गुजर रहा है तो ऐसी स्थिति में शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए विशेषज्ञ नीलम पहनने की सलाह दे सकते हैं.

  • यदि किसी को नीलम सूट न करे तो शारीरिक तकलीफ या किसी दुर्घटना में चोट लग सकती है.