कालसर्प दोष को सबसे खतरनाक अशुभ योगों में से एक माना गया है. कुंडली में बनने वाले इस अशुभ योग के पीछे राहु-केतु की अहम भूमिका मानी गई है. इस योग के कारण व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
कालसर्प दोष क्या होता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब राहु और केतु ग्रह के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं, तो व्यक्ति की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण होता है.
कालसर्प दोष का फल
माना जाता है कि कालसर्प दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में पाया जाता है, उसे हर चीज बहुत ही संघर्षों से प्राप्त होती है. ऐसे लोगों को हर कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ता है. मानसिक तनाव, अज्ञात भय और भ्रम की स्थिति भी बनती है. जॉब, करियर और बिजनेस में भी उतार चढ़ाव की स्थिति देखी जाती है.
कालसर्प दोष के शुभ फल
कालसर्प दोष सदैव अशुभ फल प्रदान करता है, ऐसा नहीं है. कुछ मामलो में ये दोष शुभ फल भी प्रदान करता है. ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को रहस्मय ग्रह माना गया है. राहु और केतु जीवन में अचानक घटित होने वाली घटनाओं के कारक भी माने गए हैं. इसलिए ये जीवन में शुभ फल भी प्रदान करते हैं. कालसर्प दोष जब होता है तो व्यक्ति बहुत परिश्रमी होता है. ऐसे व्यक्ति हिम्मत नहीं हारते हैं और निरंतर सफल होने के लिए प्रयास करते रहते हैं. कई प्रसिद्ध और महापुरुषों की कुंडली में कालसर्प दोष पाया गया है. कालसर्प दोष का उपाय करने के बाद इस दोष का प्रभाव कम हो जाता है और शुभ फल प्राप्त होते हैं.
कालसर्प दोष की पूजा
मान्यता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प दोष की शांति होती है. सोमवार को प्रात: काल उठकर भगवान शिव के दर्शन करने चाहिए. इसके बाद स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा आरंभ करें. सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करें और भगवान शिव की प्रिय चीजों को चढ़ाएं.इस मंत्र का जाप करें- ॐ नम: शिवाय.
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