धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के हर कोई हरसंभव प्रयासरत रहता है. लक्ष्मीजी मेहमानों के आगमन से प्रसन्न होती हैं. जिन घरों में मेहमानों का आना जाना बना रहता है, वहां नकदी अच्छी बनी रहती है. लोगों को घर आए मेहमान का हर हाल स्वागत सत्कार करना चाहिए. लोगों को अतिथि सेवा का धर्म समझना चाहिए.
अक्सर देखा होगा कि छोटा घर और साधारण जीवन स्तर होकर भी कुछ लोग अत्यंत सुखी होते हैं. वहीं बड़े घर वाले लोग परेशान और चिंतित नजर आते हैं. यह सब नकदी की स्थिति पर निर्भर करता है. नकद की स्थिति अच्छी बने रहने के लिए मेहमान भी जिम्मेदार होते हैं.
ज्योतिष में द्वितीय भाव धन संग्रह और श्रेष्ठ जीवन स्तर का माना जाता है. यही भाव मेहमानों और उनकी सेवा भावना को दर्शाता है. यह स्पष्ट करता है कि लक्ष्मीजी के ठहरने और उनकी कृपा बरसने में हमारी अतिथि सेवा भावना भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
मेहमानों के आने से घर में साफ-सफाई का स्तर बेहतर बना रहता है. लक्ष्मी साफ-सफाई से प्रसन्न होती हैं. मेहमानों के आने से उत्सव जैसा माहौल घर में बनता है. यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. माता लक्ष्मी स्वयं चलायमान है. वे स्वयं मेहमान की भांति यहां-वहां विचरण करती हैं. इससे उन्हें मेहमान की सेवा करने वाल सदा प्रिय होता है.