Gupt Navratri 2023: गुप्त नवरात्रि के दिनों में नहीं करने चाहिए ये काम, माना जाता है बेहद अशुभ
Gupt Navratri Date: गुप्त नवरात्रि में अघोर तांत्रिक गुप्त तरीके से महाविद्याओं को सिद्ध करने की उपासना करते हैं. इस नवरात्रि में कुछ विशेष कार्य करने का मनाही होती है. आइए जानते हैं इसके बारे में.
Gupt Navratri: माघ माह की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 22 जनवरी से हो गई है. 30 जनवरी को इसका अंतिम दिन होगा. तंत्र साधनाओं के लिए इस नवरात्रि का खास महत्व होता है. गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है. इसे गुप्त तरीके से किए जाने की वजह से ही इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं. विशेष कामनाओं की सिद्धि के लिए इस नवरात्रि को बहुत अहम माना जाता है. गुप्त नवरात्रि में अघोर तांत्रिक महाविद्याओं को सिद्ध करने की उपासना करते हैं. गुप्त नवरात्रि में कुछ विशेष कार्य करने का मनाही होती है. आइए जानते हैं कि इन 9 दिनों तक कौन से काम नहीं करने चाहिए.
गुप्त नवरात्रि में ना करें ये काम
गुप्त नवरात्रि के दौरान बाल नहीं कटवाने चाहिए. इसके साथ ही इन दिनों नाखून भी काटने चाहिए. गुप्त नवरात्रि के दौरान बच्चों का मुंडन संस्कार भी वर्जित माना जाता है. इन नौ दिनों तक मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए. गुप्त नवरात्रि में किसी भी दिन देर तक नहीं सोना चाहिए, विशेष रूप से उन लोगों को जिन्होंने नौ दिनों का व्रत रखा हो. गुप्त नवरात्रि में पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए. इन नौ दिनों में चमड़े की चीजों से दूर रहना चाहिए. गुप्त नवरात्रि में बैंगनी, नीले या गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए. व्रत रखने वाले व्यक्ति को नौ दिनों तक बेड या पलंग पर नहीं सोना चाहिए. इसकी जगह कुश की चटाई पर सोना चाहिए.
गुप्त नवरात्रि में ऐसे करें पूजा
सुबह स्नान के बाद मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर स्थापित करें. देवी को लाल रंग के वस्त्र या फिर चुनरी अर्पित करें. कलश स्थापित किया है तो इसमें प्रतिदिन जल का छिड़काव करते रहना चाहिए. नौ दिनों तक देवी मां की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. अष्टमी या नवमी के दिन देवी की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें पूड़ी-हलवा और चने का प्रसाद खिलाकर कुछ दक्षिणा देकर विदा करें. गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती पढ़ें और अंत में कलश का विसर्जन करें.
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